Bokaro : बोकारो के उपनगर चास में स्थित मध्य विद्यालय बाउरी टोला प्रदेश में शिक्षा की दुर्दशा की असल कहानी बयां कर रहा है. आसपास बजबजाती नालियां, कूड़े और गंदगी के अंबार से निकलती दुर्गंध स्कूल में बच्चों का स्वागत करती है. स्कूल की चहारदीवारी पहले ही ध्वस्त हो चुकी है. महीनों से स्कूल का भवन जर्जर है. क्लासरूम में जगह-जगह उभरी चौड़ी दरारें मन में सिहरन पैदी करती है. स्कूल के मैदान में चारो तरफ ईंट-पत्थर के रोड़े भरे पड़े हैं, खेलने के लिए बच्चे स्कूल परिसर से बाहर जाने को मजबूर हैं. स्कूल में लगे चापकल पर ग्रामीण कपड़े धोते हैं. स्कूल परिसर में मवेशियों को बांधा जाता है. पूरे मोहल्ले का कचरा स्कूल के पास ही फेका जाता है. यह स्कूल कम और कूड़े का डंपिंग एरिया ज़्यादा दिखता है.
शौचालय तक नहीं है मयस्सर
स्कूल में 150 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन बच्चों के लिए स्कूल में अब तक शौचालय नहीं है. उन्हें बाहर जाना पड़ता है. स्कूल में 6 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन तीन शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई की रश्मअदायगी पूरी करी जा रही है. यानी पढ़ाई तो राम भरोसे ही होती है. जिस क्लास रूम में बच्चे पढ़ते हैं उसमें बड़े-बड़े दरार पड़े हैं. स्कूल में बच्चे के लिए खेलने का कोई साजोसामान नहीं है.
शरारती तत्वों का रहता है अड्डा
स्कूल की छत के ऊपर दिन-रात आवारा लड़कों की बैठकबाजी चलती है. स्कूल परिसर जुआड़ियों व नशएड़ियों का सेफ जोन बना हुआ है. ग्रामीणों के भय से स्कूल के शिक्षक कुछ बताने को तैयार नहीं है.
क्या कहते हैं बच्चे
तीसरी कक्षा की छात्रा सोनाली कुमारी ने बताया कि स्कूल में खेलने की जगह है. छात्राओं के लिए शौचालय भी नहीं है. ना ही पीने की पानी की व्यवस्था है. शिक्षक को जो मन करता है पढ़ा कर चल जाते हैं.
तीसरी कक्षा का छात्र शुभम कुमार ने बताया कि बच्चे खेलने के लिए स्कूल से बाहर जाते है. स्कूल के मैदान में चारों तरफ ईंट-पत्थर भरे पड़े हैं. शिक्षको की भी कमी भी है. शिक्षक एक ही विषय को बार-बार पढ़ा कर चले जाते हैं.
कहते हैं स्कूल के प्राचार्य
प्रधानाचार्य लीलु बाउरी ने बताया कि विद्यालय जोरिया में है. आसपास के गंदे पानी की तेज धार आती है. विद्यालय की बांउड्री भी चारों तरफ से टूटी हुई है. शौचालाय की व्यवस्था जल्द की जाएगी.
यह भी पढ़ें : बोकारो : बंद आवास से पांच लाख के गहने और नगदी की चोरी