Vinit Upadhyay
Ranchi: प्रवर्तन निदेशालय झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल की शिकायत की जांच कर सकती है. विशेष रूप से, इस मामले में कोलकाता पुलिस ने ईडी के ओडिशा क्षेत्रीय कार्यालय के उप निदेशक सुबोध कुमार को भी तलब किया और उनसे अपना बयान दर्ज करने को कहा है. सुबोध कुमार इससे पहले एजेंसी के रांची कार्यालय में उप निदेशक के पद पर तैनात थे. कोलकाता पुलिस ने राजीव कुमार के साथ उनकी कुछ कथित व्हाट्सएप बातचीत के आधार पर उन्हें तलब किया था. राजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा के साथ मिलकर कारोबारियों और कंपनियों से रंगदारी वसूलने के लिए जनहित याचिका दायर की है.
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले का ईसीआईआर ईडी के रांची जोनल कार्यालय में दर्ज किया जा सकता है. अधिवक्ता राजीव कुमार को 31 जुलाई को कोलकाता में 50 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ एक जनहित याचिका 4290/21 में उसकी सुरक्षा के नाम पर अमित अग्रवाल से जबरन वसूली की गई नकदी के साथ उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
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याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने अपनी PIL में दावा किया है कि मुख्यमंत्री, उनके परिवार के सदस्य और सहयोगी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्होंने विभिन्न मुखौटा कंपनियों के माध्यम से अपने बेहिसाब धन का शोधन किया है. अमित अग्रवाल इस जनहित याचिका के प्रतिवादी नहीं हैं बल्कि उनकी कंपनी ऑरोरा स्टूडियो प्रा. लिमिटेड को जनहित याचिका में एक संदिग्ध शेल कंपनी के रूप में नामित किया गया था. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अमित अग्रवाल मुख्यमंत्री के करीबी हैं.
हालांकि, प्रतिवादी के रूप में हेमंत सोरेन ने अपने खिलाफ लगे आरोपों का जोरदार खंडन किया है. राजीव कुमार याचिकाकर्ता के वकील हैं. बंगाल पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में अमित अग्रवाल ने कहा कि मई में उन्हें मीडिया और अन्य स्रोतों से पता चला कि उनकी कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राजीव कुमार और शिव शंकर शर्मा ने विभिन्न व्यापारियों और उनकी कंपनियों के खिलाफ इस तरह की जनहित याचिका दायर करने के लिए बड़ी मात्रा में धन के एवज में जस्टिस, अदालत के अधिकारियों और अन्य सरकारी एजेंसियों के प्रबंधन द्वारा इस मुद्दे को निपटाने का आश्वासन दिया है.
अमित अग्रवाल ने दावा किया कि इस मसले में बातचीत करने के लिए राजीव कुमार 13 जुलाई को कोलकाता आए थे, और उनसे मुलाकात की थी. अमित अग्रवाल ने दावा किया कि राजीव कुमार के साथ उनकी लंबी बातचीत के दौरान इस तरह के तुच्छ आरोपों के साथ उन्हें और उनकी कंपनियों को जनहित याचिका में शामिल करने के लिए उनका तर्क था.
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“आखिरकार उन्होंने मुझे एक बड़ी राशि के भुगतान के एवज में मुझे राहत देने के लिए सहमति व्यक्त की. इस मुद्दे को कम करने और बाद में इसे निपटाने के लिए विभिन्न सरकारी अधिकारियों को आगे भुगतान के लिए उन्हें 10 करोड़ रुपये की रिश्वत दी जाएगी. जब मैं इस तरह की राशि का भुगतान करने और इस तरह के प्रस्ताव को स्वीकार करने से असहमत था तो उन्होंने मुकदमे को कम करने के लिए मुझे राहत देने के लिए राशि को एक करोड़ रुपये कर दिया. मैंने आगे कहा कि, मैं उन्हें इतनी बड़ी रकम नहीं दे सकता और मैं इस तरह की अवैध शर्तों से समझौता नहीं करूंगा. इस पर उसने आगे मेरे कारोबार को बर्बाद करने की धमकी दी और मुझसे कहा कि मैं 50 लाख रुपये की दो किस्तों में एक करोड़ रुपये का भुगतान कर सकता हूं.’
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