Bundu: भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा को राज्य सरकार द्वारा झारखंड में क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिये जाने की चिंगारी अब झारखंड के कोने-कोने तक पहुंचने लगी है. इसी क्रम में रविवार को राहे गोमदा मोड़ मैदान में झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के आह्वान पर सैकड़ों गांव के ग्रामीण पहुंचे. सभी हाथों में तख्ती लेकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबीजी की. इसमें भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा का विरोध किया गया. नेता जयराम महतो ने कहा कि यह लड़ाई न नेता न पार्टी, पहले झारखंड की माटी की लडाई है. इस लड़ाई को सभी को एकजुट होकर लड़ना है. झारखंडी भाषाओं पर किये जा रहे अतिक्रमण को जिस तरह हेमंत सरकार ने बढ़ावा दिया है, वह उचित नहीं है.
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युवा नेता ने कहा कि अपने चुनावी वादे में 1932 का खतियान लागु करने का जनता को सब्जबाग दिखाया और सत्ता हासिल की. अब वही जेएमएम पार्टी झारखंडी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है. इसलिए अब उलगुलान का समय आ गया है. इसके लिए गांव-गांव में लोगों के गोलबंद होकर सरकार के पुरजोर विरोध के लिये आगे आना होगा. युवा नेता देवेन्द्र नाथ महतो ने कहा कि जिस भाषा को झारखंड में मान्यता देने का प्रयास किया जा रहा है उस पर सभी चुप्पी साधे बैठे हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
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