Ranchi : राज्य में कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है. इसके साथ ही कारोबार और अन्य गतिविधियों में भी तेजी देखी जा रही है. जिससे बिजली की खपत बढ़ गयी है. लेकिन बिजली की खपत बढ़ने के साथ ही राज्य में लोड शेडिंग भी बढ़ गयी है. स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर एसएलडीसी की मानें तो 21 जून से लगातार राज्य में लोड शेडिंग की जा रही है. जिससे औसतन छह घंटे तक की बिजली कटौती का सामना लोगों को करना पड़ रहा है. जैसे-जैसे जन जीवन सामान्य हो रहा है. वैसे बिजली की खपत भी बढ़ रही है. सिर्फ 29 जून की मानें तो राज्य में 273 मेगावाट बिजली लोड शेडिंग की गयी.
यहां बता दें कि राज्य में लोड शेडिंग का मुख्य कारण टीटीपीएस से बिजली उत्पादन प्रभावित रहना है. टीटीपीएस की किसी एक यूनिट से ही बमुश्किल बिजली उत्पादन किया जा रहा है. जो लगभग 130 मेगावाट तक है.
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लॉकडाउन के दौरान कम हुई थी खपत
एसएलडीसी की मानें तो अप्रैल के आखिरी दिनों से लेकर जून के मध्य तक बिजली की मांग में कमी देखी गयी. जो आठ सौ नौ सौ मेगावाट तक रहा. लेकिन अनलॉक आते ही राज्य में बिजली की खपत बढ़ी. इसके साथ ही लोड शेडिंग भी शुरू हो गयी. राज्य में मात्र सिकिदरी, टीटीपीएस, इंग्लैंड और आधुनिक पावर प्लांट से बिजली मिलती है. वहीं सात सौ मेगावाट तक बिजली केंद्रीय पुल से ली जाती है. ऐसे में जन जीवन सामान्य होते ही बिजली की खपत या मांग बढ़ गयी है.
किस दिन कितनी हुई लोड शेडिंग
21 जून को बिजली की मांग 1115 मेगावाट रही, बिजली की उपलब्धता 1113 मेगावाट रही. इस दिन 115 मेगावाट बिजली लोड शेडिंग की गयी. 22 जून को बिजली की उपलब्धता 1151 मेगावाट रही. मांग 1202 और लोड शेडिंग 31 मेगावाट की गयी. 23 जून को बिजली की उपलब्धता 1376 मेगावाट रही. खपत 1370 मेगावाट और लोड शेडिंग 68 मेगावाट की गयी. 24 जून को बिजली की उपलब्धता 1172 मेगावाट की गयी. बिजली की मांग 1156 और लोड शेडिंग 140 मेगावाट की गयी. 25 जून को उपलब्ध बिजली 1322 मेगावाट और मांग 1331 मेगावाट रही. लोड शेडिंग 171 मेगावाट की गयी. 26 जून को लोड शेडिंग नहीं की गयी. इस दिन उपलब्ध बिजली 1068 और मांग 1155 मेगावाट रही. 27 जून को उपलब्ध बिजली 1221 और मांग 1171 मेगावाट रही. इस दिन भी लोड शेडिंग नहीं की गयी.
राजधानी से क्या है स्थिति
जेबीवीएनएल की मानें तो रांची विद्युत आपूर्ति क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों की स्थिति खराब है. इन इलाकों में औसतन छह से सात घंटे बिजली गुल रहती है. जबकि इन्हीं इलाकों में अधिकांश उद्योग बसे हैं. वहीं शहरी क्षेत्र में दो से तीन घंटे औसतन प्रतिदिन बिजली कट रही है. जिससे लोगों की परेशानी बनी हुई है.
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