Shruti Singh
Ranchi : हिंदी दैनिक शुभम संदेश के बैनर तले सोमवार को रांची प्रेस क्लब के सभागार में व्यवसायियों के सपने विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें राजधानी के व्यवसायियों ने खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने झारखंड में उद्योग- धंधों के विकास को लेकर अपनी राय दी. कहा कि राज्य खनिज संपदा से परिपूर्ण हैं, लेकिन यहां उद्योग-धंधों का विकास नहीं हो पा रहा है. व्यवसायी व उद्योगपति चाहते हैं कि सरकार उनकी मदद करे, ताकि राज्य के विकास में वे अपनी सहभागिता निभा सकें. व्यवसायियों ने शुभम संदेश के इस आयोजन को सराहा.
किशोर मंत्री
झारखंड में मूलभूत सुविधाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली , पानी, सड़क की समस्या देखने को मिलती है. सबसे पहले यहां सरकार और व्यवसायियों के समन्वय के लिए मंत्रालय बनना चाहिए, जिसकी मार्फत हम सरकार से बात कर सकें और उसकी नीतियों को जान सकें. हमारे राज्य के लोग दूसरी जगह जाकर मजदूरी करते हैं. यदि अपनी ही राज्य में ही मूलभूत सुविधाएं होंगी, रोजगार के सादन होंगे, तो हमारे लोगो को बाहर नहीं जाना पड़ेगा. रोटी, कपड़ा और मकान हर किसी की जरूरत है, सरकार को सबसे पहले इसके बारे में सोचना चाहिए. हमारे राज्य में सबसे ज्यादा कोयला होता है, तब भी बिजली की समस्या है. यहां पीने के लिए साफ पानी नहीं है. किसी भी तरह का होली -डे प्लेस नहीं है. हमारा सपना तो बस यहीं है कि राज्य में उद्योग-धंधों का विकास हो, ताकि यहां के लोगों को रोजगार के लिए बाहर न जाना पड़े.
विनोद जैन
सरकार के पास उद्योगपतियों-व्यवसायियों के लिए की नीति ही नहीं है. सरकार तो बस व्यवसायियों को परेशान करने का मौका ढूंढ़ती रहती है. हमेशा डर बना रहता है सरकार के अफसर हमारे सामान लेकर आ रही गाड़ी को कहीं रोक न लें और कुछ न कुछ कमी निकाल कर कहीं जुर्माना लगा दें. अफसर थोड़ी से कमी निकाल कर व्यवसायियों को परेशान किया करते हैं. हम सरकार को सहयोग करते हैं, नियमित टैक्स का भुगतान करते हैं. हम व्यवसायियों का तो बस यही सपना है कि राज्य में अफसर राज खत्म हो, व्यवसायी भयमुक्त वातावरण में कारोबार कर सकें.
हरिनाथ साहू
हम छोटे-छोटे व्यवसायियों के बीच भय का माहौल है और इस बात का डर बना रहता है कि कब कौन अधिकारी आ जाए और कोई कमी निकाल कर जुर्माना लगा दे. हमें अफसरों की मनमानी से डर बना रहता है, वहीं दूसरी ओर सरकार की दोहन नीति से भी. सरकार को व्यवसायियों-उद्योगपतियों के लिए एक नीति लेकर आना चाहिए। सरकार हमें पूरी सुरक्षा दे, ताकि हम निश्चिंत होकर अपना कारोबार कर सकें. सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं होने के कारण भी व्यवसायियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसका असर उनके कारोबार पर पड़ता है.
दीपेश निराला
पुलिस की वर्दी और नगर निगम की इनफोर्समेंट टीम की वर्दी में फ़र्क ही नहीं है. व्यवसाय के लिए राज्य में धरातल चाहिए, वह नगण्य है. बीते ढाई साल में जो माहौल बना है, वह दयनीय है. यहां के खनन सचिव का हाल देख ही रहे है. यहां होल्डिंग टैक्स का बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा हमारे व्यापारी का ट्रेड लाइसेंस नहीं बन रहा है. लोग ईडी और सुप्रीम कोर्ट जाने में लगे है तो आखिरकार सरकार कौन चलाएगा, हम व्यापारी अपने बलबूते पर काम कर रहे हैं. ऐसा नहीं कि सरकार के बलबूते.
पूनम आनंद
पूनम आनंद ने कहा कि सरकार के खाते में महिलाएं आखिरी में होती है. पिछले 22 वर्षों में हम व्यापरियों को जो परेशानी हुई है. इसके जिम्मेदार हम खुद हैं. हम व्यापरियों में एकता होने की जरूरत है, अगर हमें कोई परेशानी होती है तो सारे कारोबारी एक होकर अगर आवाज उठाएं तो सरकार हमारी आवाज बिल्कुल सुनेगी. व्यापारी में एक ऐसा माहौल होना चाहिए कि हमें आपकी जरूरत नहीं है, सरकार को हमारी जरूरत है. झारखंड का दुर्भाग्य है कि हम महिला व्यवसाई हैं. महिलाओं की भागीदारी पुरुष के साथ बढ़े, सरकार को कोई मतलब नहीं है. सरकार राज्य हित के बारे में सोचें. सरकार के हर विभाग में समाज का और व्यापारी का एक प्रतिनिधि होना चाहिए. हमारा यही सपना है कि हम सेफ राज्य में रहें. न कोई डरे, न कोई भय में रहे.
संजय कुमार साहू
सरकार के पास एक मार्गदर्शक मंडली होना चाहिए. जो सरकार के पास नहीं है. जो अधिकारी यहां हैं वे यहां के नहीं हैं. इसलिए वे यहां के बारे में सोचते नहीं है. सरकार के पास जो नेता, मंत्री हैं, उन्हें कोई चिंता नहीं है. उन्हें सिर्फ यही चिंता है कि अगली बार कुर्सी कैसे आए. सरकार खुद नियम बनाती है और खुद चोरी करती है. पूरे भारत में सबसे ज्यादा बालू हमारे यहां है, लेकिन हम फिर भी बालू के लिए तरस रहे हैं.
अश्विन मकान
बिजनेस को बढ़ाना है तो सरकार को मदद करनी चाहिए. कोई भी बिजनेस शुरू करने में परेशानी आती है. इसके लिए सरकार हमें मदद करें और हम युवाओं को मौका दें.
सन्नी कुमार सिंह
हम कांट्रेक्टर हैं, अपने कार्य क्षेत्र में हमें बहुत परेशानी आती है. हमें यह नहीं पता कि हम अपनी समस्या कहां बताएं और सरकार से मदद चाहिए, ताकि युवा आगे बढ़े.
आदित्य मल्होत्रा
झारखंड का निर्माण 2000 में हुआ था, करीब 22 साल बीत गए है, 10 से 12 मुख्यमंत्री आए और चले गए. सरकार और व्यापारी का संवाद हमेशा होना चाहिए. जिससे यह पता चले कि सरकार क्या कर रही है. व्यापारियों की समस्या बनी रहेगी तो व्यापार कैसे बढ़ेगा. हमारे राज्य में ही विप्रो, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां होनी चाहिए, जिससे राज्य का विकास हो सके. सरकार को इन सबके लिए जरूर सोचना चाहिए. यहां रोजगार नहीं है, सरकार इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है. हमारे राज्य में इको टूरिज्म नहीं है. यहां मेडिकल टूरिज्म नहीं है. जबतक सरकार हम व्यापारियों से बात नहीं करेगी, यहां का व्यवसाय कैसे बढ़ेगा.
अनीश बुधिया
यहां सिर्फ कागज पर काम होता है. या बोल सकते हैं कि सरकार और प्रशासन की विफलता देखी जाती है. यहां बस व्यापारी से टैक्स वसूल कर लें, बस इतना ही होता है. यहां एक भी अच्छे टूरिज्म का सेक्टर नही है. सरकार को व्यापारियों से संवाद करना चाहिए. सिर्फ कागजी दांव-पेंच से व्यापार नहीं बढ़ता है. जितना ज्यादा सरकार व्यापारियों का साथ देगी. राज्य उतना ही बढ़ेगा. अब बिना व्यापारियों से सलाह विमर्श किए प्लास्टिक पर बैन लग गया. पर उसके बदले में क्या मिल रहा है? वह किसी को नहीं पता. सरकार काम तो कर देती है, पर उससे लोगों को क्या दिक्कतें आ रही हैं वह नहीं समझ पाती.
शशांक भारद्वाज
इज ऑफ डूइंग बिजनेस स्तर पर काम करना होगा. हमें अपने झारखंड को सिंगापुर की तरह बनाना होगा. उसके लिए सरकार की मदद चाहिए. झारखंड हर चीज में आगे है यहां मिनरल्स की कोई कमी नहीं है. जब झारखंड में कितने कोल माइंस हैं तो फिर झारखंड में कमी किस चीज की है. सरकार को इस बात ध्यान पर देना चाहिए. सरकार को हमसे संवाद करना चाहिए.
गौतम सिंह
सरकार युवा पीढ़ी के व्यापारी को मदद करें, ताकि युवा पीढ़ी अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकें.
डॉ अभिषेक रामाधीन
डॉ अभिषेक ने कहा मैं कई साल विदेश में रहा, पर इंडिया के मुकाबले वहां की टेक्नोलॉजी बहुत अच्छी है. सरकार को छोटी-छोटी नीतियों पर काम करना जरूरी है. जिससे हमारे यहां के लोग बाहर विदेश में ना जाएं, बल्कि यहां के लिए काम करें. सरकार को यहां मल्टीनैशनल कंपनी, हेल्थकेयर सेक्टर में व्यापारियों को सपोर्ट करना चाहिए, जिससे यहां का व्यापार प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो सके.
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