Rishi Ranjan (RYT200, PGDY ,IYEC , Masters In Yogic Science)
LagatarDesk : आयुर्वेद और योग, ये दोनों ही विधाएं भारत के महान और प्राचीन विद्वानों की खोज मानी जाती है. आयुर्वेद और योग में हम प्रकृति से मिलने वाली चीजों से स्वस्थ बनाने की बात करते हैं. योग में हम पशु-पक्षियों और आसपास मिलने वाली चीजों जैसी मुद्राओं और आसनों का अभ्यास करते हैं. योग से हमारा शरीर खुद को स्वस्थ करने की क्षमता खुद हासिल कर सकता है.
सेतु बंधासन करने से रक्त संचार भी होता है ठीक
भारतीय योगियों ने किसी नदी या दुर्गम स्थान को पार करने के लिए बनाये जाने वाले पुल से प्रेरणा लेकर सेतु बंधासन या सेतु बंध सर्वांगासन की रचना की है. सेतु बंधासन शरीर को मजबूती और खिंचाव देने के लिए बेहतरीन आसनों में से एक है. सेतु बंधासन के अभ्यास से न सिर्फ तनाव से निपटने बल्कि रक्त संचार सुधारने में भी मदद मिलती है. आज हम आपको सेतु बंधासन को करने के तरीके, फायदे और सावधानियों के बारे में बतायेंगे. साथ ही सेतु बंधासन के पीछे के विज्ञान के बारे में भी जानकारी देंगे.
क्या है सेतु बंधासन?
संस्कृत में पुल को सेतु कहा जाता है. सेतु या पुल किसी दुर्गम स्थान या नदी के किनारों को आपस में जोड़ता है. ये आसन भी हमारे मन और शरीर के बीच तालमेल बैठाने में मदद करता है. जैसे पुल का काम ट्रैफिक और दबाव को सहन करना है. ये आसन भी हमारे शरीर से टेंशन को कम करता है.
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सेतु बंधासन से पहले जानें कुछ जरूरी बातें
सेतु बंध सर्वांगासन को करने से पहले कुछ जरूरी बातों को जान लेना बहुत महत्वपूर्ण है. जैसे जिन लोगों को गर्दन और कमर में चोट लगने या दर्द की शिकायत रही हो, उन्हें इस आसन को करने से बचना चाहिए. इस आसन के अभ्यास से पहले ऐसे लोगों को डॉक्टर से सलाह भी लेनी चाहिए.
कैसे करें सेतु बंधासन
1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं. सांसो की गति सामान्य रखें.
2. अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं.
3. इसके बाद हाथों से अपने घुटनों को पकड़कर रखे.
4. हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं. हाथ जमीन पर ही रहेंगे.
5. कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें.
6. इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं. पैरों को सीधा करें और विश्राम करें.
7. 10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से शुरू करें.
सेतु बंधासन के फायदे
- सीने, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करता है.
- पाचन और मेटाबॉलिज्म सुधारता है.
- एंग्जाइटी, थकान, कमर दर्द, सिरदर्द और इंसोम्निया में फायदेमंद है.
- रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है.
- दिमाग को शांत करता है.
- फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और थायरॉयड की समस्या भी दूर करता है.
- रक्त संचार सुधारता है.
सेतु बंधासन के पीछे का विज्ञान
सेतु बंधासन में हमारा हृदय सिर से ऊपर होता है. इससे रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ जाता है. इससे हमें एंग्जाइटी, थकान, तनाव/टेंशन/स्ट्रेस , अनिद्रा/इंसोम्निया , सिरदर्द और हल्के डिप्रेशन से निपटने में मदद मिलती है.
सेतु बंधासन के नियमित अभ्यास से दिमाग को शांति मिलती है और बल्ड प्रेशर सामान्य रहता है. ये फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने के अलावा सीने में होने वाले नसों के ब्लॉकेज को रोकने में भी मदद करता है. अस्थमा के मरीजों को भी इस आसन को रोज करने की सलाह दी जाती है. ये आसन थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को नियमित करता है. सेतु बंधासन उन लोगों के लिए भी बेस्ट है जो दिन भर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं. इस आसन को करने से घुटनों और कंधों में मसाज मिलने जैसा आराम मिलता है.
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बिना योग शिक्षक के मुश्किल आसन का ना करें प्रयास
योग करना अच्छी आदत है. लेकिन तभी तक जब तक आप इसे सीमा में करें. कभी भी जल्दी से जल्दी फायदा पाने के लिए शरीर की क्षमता से आगे बढ़कर योग करने की कोशिश न करें. इसके अलावा बिना किसी योग शिक्षक की देखरेख के मुश्किल आसनों का अभ्यास न करें.
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