NewDelhi : इंग्लैंड की कंपनी Cairn Energy ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में भारत सरकार की एक अरब डॉलर की डील पर मुंहर लगा दी है. जान लें कि केंद्र सरकार ने मॉनसून सेशन में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म कर दिया था. इसी टैक्स के कारण केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समेत दर्जनों कंपनी के साथ विवाद चल रहा था.थोड़ा पीछे जायें तो इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में Cairn Energy के पक्ष में फैसला सुनाया था.
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भारत सरकार कंपनी को 1.2 अरब डॉलर सूद समेत वापस करे
भारत सरकार से कहा था कि वह कंपनी को 1.2 अरब डॉलर सूद समेत वापस करे. लेकिन भारत सरकार से अपने पैसे लेने के लिए केयर्न एनर्जी ने कई देशों में अलग-अलग कोर्ट में गुहार लगायी थी. इसके अलावा उसने भारत सरकार और एयर इंडिया के लगभग 70 अरब डॉलर संपत्ति की पहचान की थी. कंपनी का कहना था कि अगर सरकार पैसे वापस नहीं करेगी तो वह इन संपत्ति को सीज कर लेगी.
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कंपनी अलग-अलग देशों में दर्ज मामलों को वापस ले लेगी
केयर्न एनर्जी के सीईओ साइमन थॉमस ने पीटीआई को कहा कि एक अरब डॉलर मिलने के बाद कंपनी अमेरिका, फ्रांस समेत अलग-अलग देशों में दर्ज मामलों को वापस ले लेगी. कहा कि कंपनी अमेरिकी में एयर इंडिया के प्लेन और लंदन में डिप्लोमैटिक अपार्टमेंट को सीज करने को लेकर दायर केस वापस ले लेगी. उन्होंने कहा कि हमारे शेयरहोल्डर्स जैसे BlackRock and Franklin Templeton ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है.
2012 में रेट्रोस्पेक्टिव कानून लागू हुआ था
जान लें कि कांग्रेस नेतृत्व वाली UPA-2 सरकार ने 2012 में रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून लागू किया था. इसकी मदद से टैक्स विभाग 50 साल पुराने मामले पर भी टैक्स लगा सकता है. इस कानून के कारण सरकार और कई कंपनियों के बीच विवाद हुआ. केयर्न एनर्जी और वोडाफोन इनमें प्रमुख हैं. इस मॉनसून सत्र में मोदी सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को वापस ले लिया जिसके कारण कंपनियों और सरकार के बीच करीब 1.1 लाख करोड़ का विवाद चल रहा था.