Kolkata : संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, राज्यपाल अपनी शक्तियों और कर्तव्य निर्वहन के लिए किसी अदालत के प्रति उत्तरदायी नहीं है. यह कहते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने आज शुक्रवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की अपील की गयी थी.
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ममता बनर्जी सरकार को झटका लगा
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को झटका लगा है. जान लें कि चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, राज्यपाल अपनी शक्तियों और कर्तव्य निर्वहन के लिए किसी अदालत के प्रति उत्तरदायी नहीं है.
हाई कोर्ट के वकील व याचिकाकर्ता रामप्रसाद सरकार ने अपनी रिट याचिका में दावा किया था कि धनखड़ राज्य सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी करते हैं और तृणमूल कांग्रेस सरकार की आलोचना कर उसकी छवि खराब कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि धनखड़ भारतीय जनता पार्टी के मुखपत्र की तरह काम कर रहे हैं.
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राज्यपाल धनखड़ ने कहा, ममता सरकार जानकारियां नहीं दे रही
इससे पूर्व राज्यपाल धनखड़ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री बनर्जी से आग्रह किया कि राज्यपाल की ओर से विभिन्न मुद्दों पर मांगी गयी जानकारी तत्काल उपलब्ध करायी जाये. श्री धनखड़ ने दावा किया कि उन्होंने राज्य की तृणमूल सरकार से जो जानकारी मांगी वह उपलब्ध नहीं कराई गयी. उन्होंने 15 फरवरी को ममता बनर्जी से अनुरोध किया था कि वह इस सप्ताह राजभवन जाकर राज्यपाल से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करें ताकि संवैधानिक गतिरोध से बचा जा सके. धनखड़ ने कहा कि उन्हें अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.
राज्यपाल सरकारी अधिकारियों को नौकर समझते हैं : ममता
ममता बनर्जी का आरोप है कि राज्यपाल खुद को सबसे उच्च समझते हैं और सरकारी अधिकारियों को नौकर समझते हैं. इसके बाद धनखड़ ने भी कहा था कि ममता बनर्जी का यह कदम संविधान के खिलाफ है. यह सब तब हुआ जबकि गवर्नर ने बंगाल ग्लोबल समिट, मां कैंटीन, विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति, शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से संबंधित मुद्दे उठाये थे.