Ranchi : झारखंड की नियोजन नीति के रद्द होने से इसके दूरगामी प्रभाव की आशंका जताई जा रही है. प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यार्थियों को जहां उन्हें भविष्य की चिंता सता रही है. वहीं नियोजन नीति के रद्द होने से 50 हजार शिक्षकों की नियुक्ति का मामला भी अधार में लटक गया है. प्लस टू शिक्षक नियुक्ति के लिए 21 दिसम्बर से परीक्षा होने वाली थी. कोर्ट ने नियमावली को संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन करार देकर रद्द किया गया है. जिसका ज्यादातर छात्र-छात्राओं ने स्वागत किया है और इसे सराहनीय बताया है. पर साथ ही उन्हें यह चिंता सता रही है कि अगर राज्य सरकार शीघ्र नई नियमावली के साथ विज्ञापन जारी नहीं करेगी तो बहुत से अभ्यर्थियों को जेपीएससी परीक्षा से ही वंचित होना पड़ेगा. कारण बहुत से अभ्यर्थियों की जेपीएससी परीक्षा के लिए निर्धारित आयु ही समाप्त हो जाएगी. इसलिए वे चाहते हैं कि सरकार शीघ्र इस दिशा में पहल करे और नई नियमावली के साथ परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी करे.
मालूम हो कि झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा ( स्नातक स्तर) संचालन (संशोधित) नियमावली 2021 को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. कोर्ट ने इस नियमावली को संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है. अदालत ने इसके तहत हुई नियुक्ति और नियुक्ति के लिए जारी सभी विज्ञापनों के निरस्त करते हुए सरकार से नए सिरे से विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया है. इस नियमावली में सिर्फ सामान्य श्रेणी के लिए झारखंड के ही संस्थानों से 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रावधान किया गया था. इस सम्बंध में शुभम शंदेश ने अभ्यर्थियों से उनके बिचार जानने की कोशिश की है. पेश है रिपोर्ट.
परीक्षा विलंब होने से पार हो जाएगी उम्र सीमा : संदीप सिन्हा
जेपीएससी की तैयारी कर रहे नुरा निवासी संदीप सिन्हा कहते हैं कि परीक्षा विलंब होने से उनकी उम्र सीमा पार हो जाएगी. ऐसे में इतने वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा और फिर दोबारा मौका नहीं मिल पाएगा. अब तक की स्थिति से जेपीएससी को उबरने की जरूरत है.
अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ता है खामियाजा : संदीप खलखो
सिंदूर निवासी संदीप खलखो कहते हैं कि जेपीएससी की परीक्षा हमेशा विवादित रहा है. अब तक 22 बार परीक्षा आयोजित हो जानी चाहिए थी. लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है. परीक्षा विलंब से होने पर अभ्यर्थियों को खामियाजा भुगतना पड़ता है. उम्र पार जाने पर कौन लौटाएगा वक्त.
सरकार को गंभीर होना होगा : प्रियंका मिश्रा
नूतननगर की छात्रा प्रियंका मिश्रा ने कहा कि जेपीएससी की परीक्षा समय पर हो, इसके लिए सरकार को गंभीर होने की जरूरत है. वक्त पर परीक्षा नहीं होने पर अभ्यर्थियों की उम्र सीमा पार हो जाती है और उनका वर्षों का मेहनत व्यर्थ हो जाता है. ऐसे में परीक्षार्थियों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है.
वक्त पर परीक्षा होने से लय बना रहता है : राहुल कुमार
शिवदयालनगर निवासी राहुल कुमार का कहना है कि कोई भी परीक्षा वक्त पर होने से उसमें कामयाबी की उम्मीद जगी रहती है. चूंकि परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों का लय बना रहता है. किसी भी हाल में समय पर परीक्षा होनी चाहिए. वह जेपीएससी की हो अथवा अन्य परीक्षा.
अभ्यर्थियों की परेशानी को भी समझे आयोग : पुष्पा कुमारी
हुरहुरू निवासी पुष्पा कुमारी ने कहा कि अभ्यर्थियों की परेशानी को आयोग को समझने की जरूरत है. उम्र सीमा पार कर जाने पर जेपीएससी की परीक्षा से अभ्यर्थी वंचित रह जाएंगे. ऐसे में वक्त पर परीक्षा आयोजित करने की जरूरत है. इसके लिए सख्त पहले करने की आवश्यकता है.
नियोजन नीति का रद्द होना आश्चर्य की बात नहीं : रौशन सिंह
छात्र रौशन सिंह ने कहा कि नियोजन नीति का रद्द किया जाना बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि सरकार के ही विधि विभाग ने इसे असंवैधानिक बताया था. लेकिन इन बातों को ताक पर रखकर सरकार ने जानबूझकर कर छात्रों को उलझाए रखा. अब भी सरकार अपनी गलती न मानकर इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देना चाहती है. इन राजनीतिक उलझनों में जो सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं, सालों से सरकारी नौकरी का सपना लिए झारखंडी छात्र इंतजार कर रहे हैं. पर सरकार से हम छात्रों को उम्मीद कम ही है कि समय पर पहल करेगी.
सरकार ठोस नीति लाकर शीघ्र पहल करे : राजेश ओझा
छात्र राजेश ओझा ने कहा कि सभी परीक्षाओं से पहले नियोजन नीति रद्द हुई, यह बहुत ही अच्छा हुआ. परीक्षा के बाद अगर रद्द होती तो सबकुछ कोर्ट में चल जाता और सारी नियुक्ति प्रभावित होती. अभी भी सरकार के पास पर्याप्त समय है. ठोस नियोजन नीति अमल में लाकर नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू करें. वैसे राज्य के सभी छात्र को इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. इनकी नियुक्ति का वर्ष समाप्त हो गया.
सारे युवक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं : मोहम्मद गुलाम
मोहम्मद गुलाम ने कहा कि पिछले कई सालों से अपनी नौकरी के लिए एक छोटे से कमरे में जेएसएससी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे सारे युवा आज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. इधर एक तरफ अभ्यर्थी परीक्षा केंद्र से घर जाते हैं, तो दूसरी तरफ से जेएसएएससी उनकी परीक्षाओं को रद्द करने की नोटिस देती है. छात्रों को इस राज्य में रोजगार मिलने की कोई संभावना नहीं है. सरकार ने नियुक्ति वर्ष घोषित किया था लेकिन रोजगार युग का अंत हो गया.
हेमंत सरकार के कार्यकाल में कोई रोजगार नहीं : सौरव प्रकाश
छात्र सौरव प्रकाश ने कहा कि 2016 में सीजीएल की परीक्षा में फेल हो गया था. उस समय रघुवर दास की सरकार थी. अब हेमंत सरकार के तीन साल पूरा होने को है, लेकिन कोई भी रोजगार अभी तक नहीं आया है. सरकार अब नियोजन नीति को लेकर हाईकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. बचे 2 साल भी बेकार हो जाएंगे. इससे बचे दो साल भी बेकार हो जाएंगे.
गलत नीतियों के कारण भविष्य आधर में : सिद्धार्थ कुमार
सिद्धार्थ कुमार ने कहा कि हम लोग पिछले 4 वर्षों से तैयारी कर रहे हैं. कोई भी वैकेंसी नहीं आ रही है. सरकार की गलत नीतियों के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. अगर सरकार की ओर से इस दिशा में शीघ्र कदम नहीं उठाया गया तो विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ेगा.
सरकार की गलतियों का खमियाजा भुगत रहे हैं : आकाश कुमार
आकाश कुमार ने कहा कि हम लोग केंद्र की परीक्षा को छोड़कर राज्य की परीक्षा में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं, जिसका खामियाजा हम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. कोर्ट के इस निर्णय से रोजगार संबंधी गतिविधियां रुक गई है. अब सरका को चाहिए कि इस दिशा में जितनी जल्द हो पहल करे ताकि छात्रों के भविष्य पर कोई प्रतिकुल प्रभाव नहीं पड़े.
सुप्रीम कोर्ट ने जाकर सरकार अपनी पहल करे : रवि कुमार चौरसिया
छात्र रवि कुमार चौरसिया ने कहा कि हम लोगों की उम्र अब खत्म हो रही है. सुप्रीम कोर्ट में जाने के बजाय सरकार अपने स्तर से दोबारा छात्रहित में नियोजन नीति पर काम करे. अन्यथा हम लोगों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा. बचे दो-चार साल हम लोग की जिंदगी में काफी अहम होने वाले हैं.
सरकारी नौकरी प्राप्त करना सपने जैसा हो गया है: प्रियंका सिरका
जमशेदपुर की प्रियंका सिरका का कहना है कि प्रदेश में सरकारी नौकरी प्राप्त करना सपने जैसा हो गया है. साल दर साल सरकारी विभागों में भर्ती के लिये आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं. सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया जाता है. इससे परीक्षा को लेकर सारी तैयारी बेकार हो जाती है, वहीं आयु की सीमा भी पार कर जाती है. 2019 में जेएसएससी के लिये फॉर्म भरे गए थे लेकिन परीक्षा नहीं हो पाई और इस साल भी कोर्ट में मामला जाने के बाद झारखंड की नियोजन नीति रद्द हो गई. लगता नहीं कि युवाओं को कोई सरकारी नौकरी मिल पाएगी.
युवाओं का भविष्य बेरोजगारी के गर्त में जा रहा: लव कुमार
जमशेदपुर के लव कुमार का कहना है कि झारखंड सरकार की खराब नीति के कारण युवाओं का भविष्य बेरोजगारी के गर्त में जा रहा है. नेता अपना वोट बैंक बनाने के चक्कर में कुछ भी गलत फैसला ले लेते हैं, जिसका खामियाजा युवा पीढ़ी को भुगतना होता है. परीक्षार्थियों का उम्र खत्म हो जाती है और वे शिक्षित बेरोजगार का ताज लिए भटकते रहते हैं. सरकार को चाहिए कि वह ऐसी नियोजन नीति बनाए जिस पर कोई विवाद की गुंजाइश नहीं हो. परीक्षा में जितना विलंब होता है, उस आधार पर परीक्षार्थियों को उम्र की छूट का प्रावधान भी हो.
ऐसी नीतियां बनती ही क्यों हैं जो न्यायालय से निरस्त हो जाए: विवेक कुमार पांडेय
जमशेदपुर के विवेक कुमार पांडेय का कहना है कि हम विद्यार्थियों का जीवन संघर्ष से भरा होता है. ऐसे में उनके भविष्य से खेलना कहीं उचित नहीं है. प्रदेश की राजनीति में विद्यार्थी का जीवन झुलस रहा है. यह विद्यार्थियों का मनोबल को तोड़ने की चेष्टा है. सरकार भली-भांति जानती है कि ऐसी नीतियां न्यायालय में निरस्त होंगी. फिर भी वह ऐसी नीतियों को क्यों बनाती है. यह कहीं ना कहीं एक भ्रामक पथ पर चलने वाली बात है. सरकार के ढुलमुल नीति के कारण कई विद्यार्थियों की उम्र की सीमा समाप्त हो रही है. ऐसा ही रहा तो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवा सरकार से विश्वास खो देंगे.
प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभागियों को आयु सीमा में छूट मिलनी चाहिए: अमर तिवारी
जमशेदपुर के अमर तिवारी का कहना है कि सरकार की नीतियों एवं सरकारी जटिल प्रक्रियाओं के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन एवं उसके परिणाम प्रकाशन में विलंब से जो नुकसान होता है, उसके लिये प्रतिभागियों को आयु सीमा में छूट दी जानी चाहिए. विद्यार्थी लगातार परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और अंतत: परीक्षा रद्द कर दी जाती है. इस पूरी प्रक्रिया के लिये कहीं ना कहीं सरकार दोषी है. इस तरह के मामले पर हाईकोर्ट को त्वरित सुनवाई करने की जरूरत है. सरकार को ऐसे सामान्य वर्ग विरोधी नीति नहीं लानी चाहिए.
सरकार बिना सोचे समझे भर्ती के लिये विज्ञापन निकालती है: सत्यनाराण प्रसाद
जमशेदपुर के सत्यनाराण प्रसाद का कहना है कि परीक्षा समय पर हो जाए तो विद्यार्थियों को पढ़ाई करने के लिये अतिरिक्त ऊर्जा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन साल भर मेहनत करने के बाद अगर परीक्षा ही न हो तो विद्यार्थियों के मन में नकारात्मक भाव उत्पन्न हो जाता है. सरकार बिना सोचे समझे भर्ती के लिये विज्ञापन निकालती है. तमाम प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद हाई कोर्ट द्वारा उसको रद्द कर दिया जाता है. जिससे स्टूडेंट को सिर्फ हताशा ही मिलती है. नई नियुक्तियों में विद्यार्थियों को आयु में छूट मिलनी चाहिए.
नियोजन नीति का रद्द् होना चिंता का विषय : सूरज सिंह
जेपीएससी की तैयारी कर रहे हैं सूरज सिंह ने कहा कि नियोजन नीति के रद्द होने से अब हम लोगों को बहुत चिंता होने लगी है कि परीक्षा में बिलंब होने से हम लोगों की उम्र न पार हो जाए. इसलिए उम्र की सीमा भी बढ़नी चाहिए. हम लोग को जेपीएससी एवं झारखंड के अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने का मौका मिल सके इसके लिए हाईकोर्ट के द्वारा नई नियोजन नीति रद्द करने के साथ उम्र सीमा को भी बढ़ाने पर भी विचार करने की जरूरत है, ताकि हम लोगों को जेपीएससी एवं झारखंड के अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने का मौका मिल सके.
चिंता सताने लगी है कि अब परीक्षा में कब बैठ पाएंगे : ओमप्रकाश सिंह
जेपीएससी की तैयारी कर रहे ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि पुरानी नियोजन नीति में जो लोग झारखंड से 10वीं एवं 12वीं की पढ़ाई करते थे, वही जेपीएससी एवं झारखंड के अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठ सकते थे. लेकिन हाईकोर्ट के द्वारा नियोजन नीति को रद्द करने से अब हमलोग को उम्र की चिंता सताने लगी है कि हम लोग परीक्षा में बैठ सकेंगे या नहीं. जेपीएससी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सरकार की नीति के कारण उनकी उम्र समाप्त हो गई, जो अब इस तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में नहीं बैठ सकते है.
अब उम्र समाप्त होने की चिंता सताने लगी है : बसंत कुमार
बसंत कुमार सिंह का कहना है कि मैं जेपीएससी की तैयारी कर रहा हूं. नियोजन नीति रद्द होने पर हमारे जैसे बहुत से छात्र छात्राएं जेपीएससी एवं झारखंड के अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं. लेकिन अब हमें उम्र की चिंता सताने लगी है कि कहीं परीक्षा में विलंब से हुई तो हम लोगों की उम्र समाप्त हो जाएगी. सरकार के साथ साथ कोर्ट को भी इस दिशा में सोचना चाहिए.
उम्र सीमा बढ़ाने की जरुरत है, ताकि मेहनत बेकार न जाए : रूबी कुमारी सिंह
रूबी कुमारी सिंह भी जेपीएससी की तैयारी कर रही है. नियोजन नीति रद्द होने पर उनका कहना है कि अब मेरी जैसी छात्राएं नई नीति के रद्द होने से आसानी से अन्य प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो सकती है. लेकिन अगर परीक्षा बिलंब से हुई तो उम्र समाप्त हो जायेगी. इसलिए परीक्षाओं की उम्र सीमा बढ़ाने की जरुरत है. ताकि हम सभी की मेहनत बेकार न जाए.
अब अधर में लटक गया है छात्रों का भविष्य : अंकित कुमार
अंकित कुमार पांडेय ने बताया कि झारखंड सरकार की नियोजन नीति को रद्द करने से छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. अब तो यह डर सता रहा है कि कहीं नई नीति बनते बनते देर न हो जाए और हम छात्रों की उम्र न निकल जाए. यह चिंता अब छात्रों को सता रही है. सरकार जल्द इस संबंघ में नीति बनाए ताकि छात्रों को अपना भविष्य सुरक्षित लगे.
शीघ्र बननी चाहिए नई नीति, ताकि छात्र परेशानी से बच पाएं : नसीम अंसारी
नसीम अंसारी ने बताया कि सरकार जल्द नई नियोजन नीति बनाकर छात्रों के भविष्य को खिलवाड़ होने से बचाएं और जिससे छात्रों का भविष्य सुधर सके. हाई कोर्ट द्वारा नियोजन नीति को रद्द करने से छात्रों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इस दिशा में सरकार को जल्द कदम उठाना चाहिए.
सरकार नई नियोजन नीति पर शीघ्र फैसला ले : बसंत राज
बसंत राज ने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट द्वारा झारखंड सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिए जाने से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. इस संबंध में जल्द झारखंड सरकार द्वारा नई नियोजन नीति बनाकर छात्रों के हित में कोई फैसला लेना चाहिए. इसे लेकर छात्र चिंतित हैं कि नई नीति बनने में कितना समय लगेगा.
परीक्षा की तैयारी कर रहे स्टूडेंटस भविष्य को लेकर चिंतित हैं : विकास यादव
विकास यादव ने बताया कि जेएसएससी की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे स्टूडेंटस भविष्य को लेकर चिंतित हैं. सरकार इस पर जल्द कोई फैसला लेकर नई नियोजन नीति बनाए, ताकि छात्रों का भविष्य सुधर सके. इस तरह से छात्रों की उम्र बीत जाने पर उन्हें काफी नुकसान होगा.
झारखंड सरकार नियोजन नीति 2021 दोषपूर्ण थी: बैजू यादव
आदित्यपुर के बैजू यादव का कहना है कि झारखंड सरकार ने जो नियोजन नीति 2021 तैयार की थी वह दोषपूर्ण थी. हाई कोर्ट ने सही फैसला दिया है. इस नियोजन नीति से हिंदी और अंग्रेजी भाषी छात्रों को नुकसान हो रहा था. अब झारखंड सरकार को एक कारगर नियोजन नीति बनानी चाहिए . जिससे कि राज्य के सभी वर्ग के छात्रों का कल्याण हो. इस नीति में राज्य के बाहर पढ़ने वाले छात्रों को भी बाहर रख दिया गया था. इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा एक बड़ा छात्र समूह सरकार के नियोजन नीति से नाखुश था.
हाई कोर्ट का फैसला बड़े छात्र समूह के लिए फायदेमंद: सिंटू कुमार
आदित्यपुर के सिंटू कुमार का कहना है कि झारखंड की वर्तमान नियोजन नीति से हमलोग वंचित रह रहे थे. हाईकोर्ट ने इस पर जो फैसला सुनाया है वह बड़े छात्र समूह के लिए फायदेमंद है. हमलोग जेपीएससी और एसएससी की तैयारी करते हैं, लेकिन इस वर्तमान नियोजन नीति से राज्य में नौकरी पाना मुश्किल हो गया था. अब हमलोग राहत की सांस ले रहे हैं, बस अब एक कारगर नियोजन नीति बनाने की आवश्यकता है.
नियोजन नीति 2021 में कई खामियां थीं, हाई कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य: विशाल कुमार
आदित्यपुर के विशाल कुमार का कहना है कि झारखंड की नई नियोजन नीति 2021 में कई खामियां थीं. हाई कोर्ट का फैसला जो भी आया है वह स्वागतयोग्य है. हमलोग इस राज्य में जन्मे, यहीं पढ़े लिखे और अब जब रोजी रोजगार की बात आई तो सरकार ने ऐसी नियोजन नीति बना दी कि हमलोग खुद को बाहरी समझने लगे थे. इसमें संशोधन की आवश्यकता थी, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने रद्द कर एक सकारात्मक कदम उठाया है. नई नियोजन नीति बने तो इस बात का अवश्य ख्याल रखा जाए ऐसी मेरी मांग है.
नियोजन नीति को रद्द करने से हम जैसे छात्रों की उम्मीद बरकरार: मनीष कुमार
आदित्यपुर के मनीष कुमार का कहना है कि हमलोग तो नियोजन नीति 2021 की नीतियों से उदास थे कि अब तो झारखंड में रोजगार नहीं मिलेगा. इसलिए केवल केंद्र सरकार की प्रतियोगी परीक्षाओं पर ध्यान देने लगे थे. लेकिन इस नियोजन नीति को रद्द कर हाई कोर्ट ने हम जैसे छात्रों की उम्मीद बरकरार रखी है. अब भी झारखंड सरकार भूल सुधारने के बजाय सुप्रीम कोर्ट जाने और फैसले को चुनौती देने की बात कह रही है, देखिए हम हिंदी और अंग्रेजी भाषी छात्रों का भविष्य क्या होता है.
विद्यार्थियों के साथ किया जा रहा है खिलवाड़: शशि बरहा
जेएसएसी द्वारा स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा रद्द किए जाने के संबंध में परीक्षा की तैयारी कर रहे शशि बरहा ने कहा कि विद्यार्थियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. वे 2019 से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, अब कब परीक्षा होगी इस बारे में पता नहीं. झारखंड में सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं का भविष्य दांव पर लगा है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, युवाओं को नौकरी व रोजगार नहीं मिलने के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है.
झारखंड में सरकारी नौकरी पाना हो रहा मुश्किल: सूरज पडीयरी
झारखंड के सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले सूरज पडीयरी ने कहा कि झारखंड में सरकारी नौकरी पाना मुश्किल हो गया है. कई सालों से नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं की उम्र खत्म हो रही है, चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता. राजनीतिक दल के नेता अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हुए हैं. झारखंड में नौकरी नहीं मिलने के कारण ही पलायन को मजबूर होना पड़ता है.
झारखंड में परीक्षाएं रद्द होना आम बात: रामलाल सोय
सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले रामलाल सोय कहा कि झारखंड की नियोजन नीति रद्द होने से जेएसएससी की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा भी रद्द हो गई है. झारखंड में प्रतियोगिता परीक्षा रद्द होना आम बात हो गयी है. परीक्षाएं हो भी जाए तो रिजल्ट की तैयारी करते करते उसे रद्द घोषित कर दिया जाता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद हम करें तो क्या करें यह चिंता का विषय बना हुआ है. झारखंड में कई विभाग में पद खाली पड़े हुए हैं, लेकिन इन्हीं सब कारणों से वैकेंसी भी नहीं निकाली जा रही है.
परीक्षाएं रद्द होने से मेहनत पर फिर रहा है पानी: अनुसूइया महतो
झारखंड की नियोजन नीति रद्द होने से जेएसएससी की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा रद्द होने पर परीक्षा की तैयारी करने वाली अनुसूइया महतो ने कहा कि हमारी मेहनत पर पानी फेरा जा रहा है. दिन रात मेहनत कर और कोचिंग की फीस देकर तैयारी करने के बाद यह पता चलता है कि परीक्षाएं रद्द हो गई है. अब हम फॉर्म नहीं भर सकते. आखिर झारखंड में ही ऐसा क्यों है, इस पर विचार करने की जरूरत है. रोजगार के लिये युवाओं को दूसरे राज्य की ओर रुख करना मजबूरी बन गई है.
बेरोजगारों के लिए सरकार निकाले कोई रास्ता: तनुजा महतो
प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही तनुजा महतो का कहना है कि झारखंड में परीक्षाएं रद्द होने से बेरोजगारी बढ़ रही है. सरकार को बेरोजगारों के लिये कोई रास्ता निकालना चाहिए. परीक्षा की तैयारी करते करते उम्र निकली जा रही है, एक वक्त ऐसा आता है कि प्रतियोगिता परीक्षा के फॉर्म भरने के लिए उम्र खत्म हो जाती है, ऐसे में पढ़ाई के बाद विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर बना हुआ है. घर वालों की भी उम्मीदें टूट जाती है. झारखंड में हुई कई परीक्षाएं रद्द की गई हैं. अगर यही हाल रहा तो कोई परीक्षा की तैयारी नहीं करेगा.
नई नीति के बनने मे काफी समय लग सकता है : सुधीर कुमार यादव
सुधीर कुमार यादव ने बताया कि नियोजन नीति के रद्द हो गई है और नई नीति बनने से काफी समय लग सकता है. ऐसे में छात्रों का समय बर्बाद हो सकता है. उनकी उम्र सीमा समाप्त होने पर उनका भविष्य खराब होने की आशंका बढ़ गई है. सरकार जल्द इस पर कोई फैसला लेकर इसे तुरंत लागू करें.
सरकार को खुद नहीं पता की क्या करना है: ब्रजेश कुमार
छात्र ब्रजेश का कहना है कि मैं पिछले 3 साल से सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहा हूं. सरकार की इस तरह की नीतियों के चलते हमारा भविष्य बरबाद हो रहा है. सरकार को खुद पत्ता ही नहीं है कि उसे करना क्या है. सरकार की नीति बच्चों के बीच में मतभेद लाने का काम कर रही थी. क्या जनरल कैटगरी में आने वाले छात्र झारखंडी नहीं हैं. झारखंड के लोग गरीब हैं, काम करने बाहर चले जाते हैं फिर उनको वहीं पढ़ना पड़ता है, तो सरकार वैसे गरीब बच्चों के साथ धोखा करती है.
बच्चों के हित में नीति बनाए सरकार : देवेंद्र कुमार
अभ्यर्थी देवेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार नौकरी देने के नाम पर हमारे साथ षड़यंत्र रच रही है. सरकार की नीयत ही छात्रों को नौकरी देने की नहीं है . सरकार से अनुरोध है कि ऐसी नीति न बनाई जाए जो हमारा भविष्य खराब करें. कोई भी नीति बनाने के लिए बहुत अध्ययन करना पड़ता है, लेकिन हेमंत सरकार अपने राजनीतिक फायदा के लिए सिर्फ काम कर रहीं है. इन नीतियों के कारण हमें लग ही नहीं रहा कि नौकरी मिलेगी.
हेमंत सोरोन को जोहार शब्द हटा देना चाहिए: प्रिंस कुमार
अभ्यर्थी प्रिंस कुमार ने कहा है कि हमारे प्यारे मुख्यमंत्री को जोहार शब्द अपने भाषणों से हटा देना चाहिए. उसकी जगह जोहर शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि हम छात्रों के पास जोहर करने के अलावा कोई चारा दिख नहीं रहा है. सरकार ने जितनी नौकरी का वादा किया था उसका सिर्फ 20 प्रतिशत भी नौकरी दे देती तो कुछ बात बनती. मुख्यमंत्री अपने शब्दों पर टिक नहीं रहे हैं.सरकार धीरे धीरे अपने सभी वादों से किनारे करती जा रही हैं.
हाई कोर्ट के निर्णय का हम छात्रों का पहले से था अंदेशा: अमृत कुमार
अभ्यर्थी अमृत कुमार का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्णय का हम छात्रों को पहले से अंदेशा था. कोर्ट के फैसला ने हम छात्रों को झकझोर कर रख दिया है.सरकार ने जो नियम बना था. सबको ध्यान में रख कर नहीं था. इसलिए मामला कोर्ट में टिक नहीं पाया. सरकार से अब हमारी कोई उम्मीद नहीं है. हम बस किसी तरह बेरेजगारी से निकले इसकी चिंता है.
नियोजन नीति ही पूरी तरह गलत है : गौतम कुमार
अभ्यर्थी गोतम कुमार का कहना है कि सरकार ने जो नई नियोजन नीति बनाई थी, वह पूरी तरह से गलत थी. नियोजन नीति में एससी और एसटी को परीक्षा में बैठने की इजाजत थी.वहीं जनरल कैटगरी से आने वाले छात्रों के लिए 10 और 12वीं का मापदंड लगा दिया गया था. क्या जनरल कैटगरी से आने वाले छात्र गरीब नहीं होते हैं. क्या वे झारखंडी नहीं हैं.