New Delhi : सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरन्मेंट (सीएसई) ने अपने एक शोध में बताया है कि भारतीय बाजारों में बिक रहे बड़े ब्रांडों के शहद में बड़े पैमाने पर मिलावट पायी गयी है. इस कोरोना काल में जब भारतीय लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पहले से कहीं ज्यादा मात्रा में शहद का उपयोग कर रहे हैं, यह खबर चिंताजनक है. यहां तक कि डाबर, पतंजलि और इमामी जैसे बड़े ब्रांडों में शुगर सिरप यानी चीनी के घोल की मिलावट पायी गयी है.
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शीतल पेय में कीटनाशक होने की रिपोर्ट
CSE के शोधकर्ताओं ने भारत में संशोधित और बिना पकाया हुआ शहद बनानेवाले 13 बड़े-छोटे निर्माताओं को चुना ताकि उनकी शुद्धता का परीक्षण किया जा सके. इन ब्रांडों के नमूनों का पहला परीक्षण गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) में सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फ़ूड (CALF) में किया गया था. गौरतलब है कि सीएसई ने 2003 में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शीतल पेय में कीटनाशक होने की रिपोर्ट से सनसनी फैला दी थी.
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शहद के 22 नमूमों का हुआ परीक्षण
सीएसई ने कहा कि उसने शहद के कुल 22 नमूनों का परीक्षण किया, जिनमें से केवल पांच ही मानकों पर खरे उतर पाये. 77 प्रतिशत नमूनों में चीनी सिरप की मिलावट पायी गयी और केवल तीन नमूने ही अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकृत न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनएमआर) टेस्ट पास कर सके. अध्ययन में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांडों के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे. सीएसई की जांच में कहा गया है कि शहद के कारोबार से जुडी कुछ भारतीय कंपनियां चीन से सिंथेटिक चीनी सिरप लाकर शहद में मिलावट कर रही थीं.
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मधुमेह और मोटापे की समस्या को बढ़ा दिया
शोध के परिणाम पर टिप्पणी करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि यह हमारे 2003 और 2006 की जांच में शीतल पेयों में पाये जानेवाले मिलावटी पदार्थों की तुलना में अधिक नापाक और परिष्कृत है. हमारे स्वास्थ्य के लिए खराब चीजों में शायद अब तक हमने जो कुछ पाया है, यह उससे ज्यादा नुकसानदेह है. उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हम एक महामारी के खिलाफ लड़ रहे हैं, हमारे आहार में चीनी का यह अति प्रयोग इसे और बदतर बना देगा. चीनी का यह अति प्रयोग कोविड-19 संक्रमण को बढ़ाने के साथ मधुमेह और मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों में संक्रमण के खतरे को और बढ़ा देगा.
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हम जो शहद खाते हैं वह मिलावटी है- अमित खुराना
सीएसई कार्यक्रम निदेशक (खाद्य सुरक्षा और विषाक्त पदार्थ) अमित खुराना ने कहा कि हमने जो पाया वह चौंकाने वाला था. यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यवसाय कैसे विकसित हुआ है. हमारी चिंता सिर्फ यह नहीं है कि हम जो शहद खाते हैं वह मिलावटी है, बल्कि इस मिलावट को पकड़ना मुश्किल है. वास्तव में, हमने पाया है कि चीनी के घोल को डिजाइन किया गया है ताकि उन्हें पकड़ा न जा सके.
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डाबर ने मिलावट से किया इंकार
सीएसई के अनुसार, शहद मधुमक्खियों से प्राप्त एक प्राकृतिक उत्पाद है. इसे चावल, मक्का, चुकंदर और गन्ने से प्राप्त चीनी सिरप के साथ मिलाया जाता है और यह मिलावटी शहद परीक्षणों में शुद्ध-साफ स्वास्थ्य खतरे के रूप में टेस्ट से पास हो जाता है. इस बीच, डाबर हनी ने एक बयान जारी कर अपने शहद में चीनी की चाशनी की मिलावट की बात से इनकार किया है.
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