Patna: बिहार में 7 जनवरी से जातीय जनगणना शुरु की गई है. अधिकारी घर-घर जाकर गणना कर रहे. कास्ट सेंसस पर विपक्ष की ओर से हमला भी किया जा रहा. इन सब के बीच तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए बताया है कि जातिगत गणना जरूरी क्यों है.
तेजस्वी ने ट्वीट में कहा है कि, बिना किसी साइंटिफिक प्रक्रिया के जुटाए सुपरफिशियल और कॉस्मेटिक आंकड़ों ने विकास और देश में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असामनता की खाई को गहरा कर दिया है. अधूरे आंकड़ों ने ही गरीबों पर मुट्ठी भर लोगों के अन्यायपूर्ण प्रभुत्व को स्थापित किया है. यही कारण है कि जातीय जनगणना जरूरी है.
तेजस्वी के कहने का मतलब है कि गलत और बिना तथ्य के आंकड़ें चल रहे हैं. जिसके कारण गरीब तबके के लोग दबे हुए हैं. गरीबों की मदद और उनके उत्थान के लिए कास्ट सेंसस एक बेहद जरूरी प्रक्रिया है. इससे उनको मदद भी मिलेगी और निचले तबके के लोगों का विकास भी होगा.
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बिना किसी साइंटिफिक प्रक्रिया के जुटाए सुपरफ़िशियल व कॉस्मेटिक आँकड़ो ने विकास एवं देश में व्याप्त सामाजिक-आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के बजाय उसे गहरा किया है। अधूरे आँकड़ों ने ही गरीबों पर मुट्ठी भर लोगो के अन्यायपूर्ण प्रभुत्व को स्थापित किया है इसलिए जातिगत गणना जरूरी है! pic.twitter.com/FxkEtXi5UZ
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 16, 2023
राज्य सरकार अपने बलबूते करवा रही कास्ट सेंसस
बता दें कि कास्ट सेंसस सात जनवरी से चल रहा है. अधिकारी डोर टू डोर जाकर लोगों से उनकी कास्ट की समीक्षा कर रहे. पहले चरण की गणना जनवरी तक चलेगी. वहीं दूसरे चरण की गणना अप्रैल में होगी. कास्ट सेंसस को लेकर नीतीश और तेजस्वी हमेशा से एक साथ रहे हैं. जब बिहार में एनडीए की सरकार थी, तब भी मुख्यमंत्री ने उस वक्त नेता प्रतिपक्ष रहे तेजस्वी के साथ दिल्ली जाकर पीएम से मुलाकात की थी. हालांकि गणना कराने को लेकर केंद्र कभी भी राजी नहीं हुआ. राज्य सरकार इसे अपने बलबूते करवा रही है. ये भी कारण है कि बीजेपी लगातार हमलावर रहती है.
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