New Delhi : केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के पांच साल बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गुरुवार को पूछताछ के लिए एक गवाह के रूप में बुलाया है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
VIDEO | Here’s what Samajwadi Party spokesperson Fakhrul Hasan Chand said on CBI summoning Akhilesh Yadav in illegal mining case.
“We have found via media that CBI has summoned Akhilesh Yadav for testimony, but Akhilesh Yadav has not received any such information or notice. Once… pic.twitter.com/jLi5KUJN5r
— Press Trust of India (@PTI_News) February 28, 2024
भारतीय जनता पार्टी के सबसे ज्यादा निशाने पर सपा है
नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सबसे ज्यादा निशाने पर सपा है. चुनावों के नजदीक आने के साथ ही नोटिस भी आते हैं. अधिकारियों ने बताया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में सीबीआई ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है. यह धारा एक पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति देती है.
साल 2019 में भी मुझे किसी मामले में नोटिस मिला था
सपा प्रवक्ता फखरूल हसन ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में बताया कि सीबीआई का नोटिस बुधवार को प्राप्त हुआ है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सपा सबसे ज्यादा निशाने पर है. साल 2019 में भी मुझे किसी मामले में नोटिस मिला था, क्योंकि तब भी लोकसभा चुनाव था.’उन्होंने कहा,अब जब चुनाव आ रहा है तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है.
आपने बहुत काम किया है तो फिर आप क्यों घबराये हुए हैं?
मैं समझता हूं कि जब चुनाव आयेगा तो नोटिस भी आयेगा. यह घबराहट क्यों है?अगर पिछले 10 वर्षों में आपने (भाजपा ने) बहुत काम किया है तो फिर आप क्यों घबराये हुए हैं? प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री यहां एक्सप्रेसवे पर हरक्यूलिस विमान से उतरे. यह समाजवादियों का काम था.
आप देश में ऐसा राजमार्ग क्यों नहीं बना सकते जहां हरक्यूलिस विमान उतर सके. यादव के खिलाफ मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिये थे.
जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी
आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाये गये प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया. यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले. खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किये थे.
यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. उस वक्त उनके पास खनन विभाग भी था. उन्होंने आरोप लगाया था कि यादव, जिनके पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था, ने ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दी थी, जिनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गयी थी.
सीएम ऑफिस से अनुमोदन लेकर हमीरपुर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने पट्टे दिये
सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी, 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिये गये थे. एजेंसी ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी के संबंध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी.
यादव 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे
प्राथमिकी के अनुसार, यादव 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास था जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गयी. साल 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाये जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था.