- डीएफओ आरएन मिश्रा ने केंद्र सरकार को भेजी गलत रिपोर्ट
- पूर्व के सीनियर अधिकारियों की रिपोर्ट और अवैध माइनिंग की बात छुपायी
Praveen Kumar
Ranchi : नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) की सौ एकड़ जमीन से अवैध खनन के मामले में जिला वन पदाधिकारी (डीएफओ) पश्चिम आर.एन. मिश्रा ने केंद्र सरकार को ही धोखा दे दिया. उन्होंने कंपनी से साठगांठ करते हुए कंपनी को गलत रिपोर्ट भेज दी. इस रिपोर्ट में पूर्व के सीनियर अधिकारियों की रिपोर्ट और अवैध माइनिंग की बात छुपायी गई है. उन्होंने इन तथ्यों को छुपाते हुए केंद्र सरकार से शर्तों में संशोधन की अनुशंसा कर दी. आरएन मिश्रा द्वारा एनटीपीसी और त्रिवेणी-सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के दोषी अफसरों को बचाने के लिए दो रिपोर्ट बनाने के खुलासे के बाद अब यह मामला सामने आया है. बता दें कि दो साल पहले क्षेत्रीय वन संरक्षक (आरसीसीएफ) ने जो रिपोर्ट दी थी, उसमें अवैध माइनिंग की बात कही गई थी. लेकिन डीएफओ आर.एन. मिश्रा ने केंद्र सरकार को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें न तो आरसीसीएफ की रिपोर्ट का जिक्र किया गया है और न ही अवैध माइनिंग के बारे में बताया गया है. उक्त रिपोर्ट वन विभाग को भी भेजी जा चुकी है, लेकिन वन विभाग की ओर से अब तक आर.एन. मिश्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
आरसीसीएफ ने दो साल पहले दुमुहानी-पकवा नाले को बताया था जरूरी
एनटीपीसी ने फॉरेस्ट क्लियरेंस की उन शर्तों में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को आवेदन दिया था, जिसमें केंद्र ने एनटीपीसी से दुमुहानी और पकवा नाले के दोनों ओर 50 मीटर ग्रीन बेल्ट बनाने को कहा था. इस बाबत केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से मंतव्य मांगा था. वर्ष 2020 में तत्कालीन आरसीसीएफ ने पीसीसीएफ को भेजी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा था कि पानी की उपलब्धता बनी रहने, नदियों का प्रवाह बने रहने, आस-पास रहने वाले जीव-जंतुओं एवं प्राणियों को पानी की उपलब्धता बरकरार रखने के लिए आवश्यक है कि दुमुहानी, पकवा और खोर्रा नाले के किनारे भी 50 मीटर ग्रीन बेल्ट बनायी जाए. आरसीसीएफ ने मंतव्य देते हुए कहा कि प्रयोक्ता अभिकरण (एनटीपीसी) द्वारा उस भूमि पर खनन कर दिया गया है जहां ग्रीन बेल्ट बनायी जानी थी. इसलिए अब मंतव्य देने का कोई औचित्य नहीं रह गया है. अब यह भारत सरकार की शर्तों के उल्लंघन का मामला है. साथ ही यह निर्देश दिया गया था कि जब तक भारत सरकार द्वारा शर्तों में परिवर्तन नहीं किया जाता है, तब तक भारत सरकार ने वर्तमान शर्तों का अनुपालन करने का निर्देश वन संरक्षक को दिया था.
डीएफओ ने आरसीसीएफ की रिपोर्ट को किया दरकिनार
आरसीसीएफ द्वारा वर्ष 2020 में ही एनटीपीसी (त्रिवेणी-सैनिक) द्वारा ग्रीन बेल्ट एरिया में खनन किए जाने की बात कही थी. इसे अहम कारण बताते हुए कहा था कि खनन होने के बाद शर्तों में संशोधन के लिए मंतव्य देने का कोई औचित्य नहीं रह जाता. यह शर्तों के उल्लंघन का मामला है. दो रैंक सीनियर अधिकारी की रिपोर्ट को दरकिनार कर डीएफओ आरएन मिश्रा ने एनटीपीसी के पक्ष में शर्तों में संशोधन करने का मंतव्य देते हुए अनुमोदन कर दिया. डीएफओ ने अपने मंतव्य में इस बात को भी छुपा दिया कि शर्त में परिवर्तन के पहले ही एनटीपीसी ने खनन कर लिया है. दिलचस्प बात है कि उसी माह डीएफओ ने एनटीपीसी पर नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) के तहत पांच गुना जुर्माना लगाने और पौधरोपण कराने की अनुशंसा की थी.
…तो क्या मिश्रा के कार्यकाल में किया गया अवैध खनन?
आरसीसीएफ और डीएफओ की रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि डीएफओ आरएन मिश्रा के कार्यकाल में दुमुहानी नाले को नष्ट कर अवैध खनन किया गया. अब वही डीएफओ एनटीपीसी के पक्ष में भी रिपोर्ट बनाते हैं, जिनके कार्यकाल में दुमुहानी नाले से एनटीपीसी ने अवैध खनन कराया है. इसकी पुष्टि ऐसे होती है कि वर्ष 2020 में आसीसीएफ की रिपोर्ट में दुमुहानी नाले के किनारे ग्रीन बेल्ट वाले एरिया में अवैध खनन होने का जिक्र किया गया था. प्रशिक्षु आईएफएस और एसीएफ द्वारा मार्च 2022 की रिपोर्ट में दुमुहानी नाले के प्रवाह को अवरुद्ध कर तीन किलोमीटर एरिया में अवैध खनन की बात कही गयी है. इन दोनों रिपोर्ट के बीच के समय में आरएन मिश्रा ही पश्चिमी वन प्रमंडल हजारीबाग में पदस्थापित थे.
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