NewDelhi : उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी को केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा कवर मुहैया कराने को लेकर त्रिपुरा हाई कोर्ट और केंद्र सरकार आमने-सामने है. बता दें कि इस मामले में त्रिपुरा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया. त्रिपुरा हाईकोर्ट ने बिकास साहा नामक व्यक्ति द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर 31 मई और 21 जून को दो अंतरिम आदेश पारित किये थे.
खबर है कि अब केंद्र सरकार ने अधिकारियों को बुलाये जाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई करने के लिए कोर्ट ने हामी भरी है. इस मामले में आज सुनवाई होगी.
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सॉलिसिटर जनरल ने SC की पीठ के समक्ष याचिका दायर की
जानकारी के अनुसार भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की SC की पीठ के समक्ष एक याचिका दायर उसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, जिस पर पीठ ने सहमति व्यक्त कर दी. जान लें कि त्रिपुरा हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय के उस अधिकारी को कागजात के साथ कोर्ट आने के लिए कहा था, जिन्होंने अंबानी परिवार को खतरे के आधार पर सुरक्षा प्रदान की थी.
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त्रिपुरा उच्च न्यायालय का इस मामले पर कोई एकाधिकार नहीं
तुषार मेहता का तर्क है कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय का इस मामले पर कोई एकाधिकार नहीं है कि एक परिवार को सुरक्षा दी जा रही है जो कभी भी जनहित में नहीं हो सकता. मेहता की प्रार्थना यह है कि आप तय करें कि बॉम्बे में एक औद्योगिक परिवार को दी गयी खतरे की धारणा आधारित सुरक्षा गलत है और सुरक्षा वापस ले लें.
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुरक्षा कवर प्रदान किया गया है
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि त्रिपुरा पुलिस ने सुरक्षा मुहैया कराई है या केंद्र सरकार ने. सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि केंद्र सरकार की धारणा के आधार पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुरक्षा कवर प्रदान किया गया है. उन्होंने बताया, यह एक केंद्रीय सुरक्षा है. त्रिपुरा सरकार को इससे कुछ लेना देना नहीं है. कहा कि किसी भी मामले में, अंबानी परिवार की व्यक्तिगत सुरक्षा जनहित याचिका का विषय नहीं हो सकता. कोर्ट खतरे की धारणा देखना चाहता है.
इस क्रम में पीठ ने जानना चाहा कि क्या उच्च न्यायालय का आदेश अंतिम था या क्या कार्यवाही अभी भी लंबित है? इस पर सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक अंतरिम आदेश है, लेकिन यह लगभग अंतिम है.