- केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने झारखंड को दिए करोड़ों रुपये, राशि खर्च नहीं हुई
- उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने के कारण 2022-23 और 23-24 में नहीं मिली केंद्रीय राशि
- -राशि खर्च नहीं करने के कारण सीसीडी स्कीम के तहत 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध कोई भी राशि नहीं मिली.
- – एससीए टू टीएसपी स्कीम के तहत राशि खर्च नहीं होने कारण 2022-23 में केंद्र सरकार ने कोई राशि नहीं दी
Kaushal Anand
Ranchi : झारखंड सरकार विगत तीन वर्षों में आदिवासी कल्याण से जुड़े विभिन्न स्कीम के तहत मिली केंद्रीय राशि का 50 फीसदी भी खर्च नहीं कर पायी. आदिवासी कल्याण विभाग को वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर 21-22 तक करोड़ों रुपये केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय से मिले. राज्य सरकार यह राशि खर्च ही नहीं कर पायी. फलत: उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को नहीं भेजा गया. इसके कारण केंद्रीय मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में झारखंड के लिए राशि का प्रावधान नहीं किया. मालूम हो कि कल्याण विभाग की ओर से आदिवासियों के विकास के लिए कई योजनाएं संचालित होती है. केंद्र सरकार आदिवासी कल्याण की धारा 275 (1) के तहत अनुदान के साथ राशि राज्यों को देती है. इसके बावजूद राज्य सरकार आदिवासी कल्याण के लिए मिलनेवाली राशि का उपयोग नहीं कर पाती है.
झारखंड में कल्याण विभाग के तहत आदिवासी विकास का हाल
- विगत तीन वर्ष में प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत भी खर्च नहीं हो पाया. केंद्र को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा गया. जिसके कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 और 23-24 केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्रालय ने राशि का कोई प्रावधान नहीं किया.
- केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में 102.78 करोड़ दिये गये, मगर खर्च मात्र 43.49 करोड़ हुए.
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में 122 करोड़ मिला, मगर खर्च मात्र 17.90 करोड़.
- 2022-23 में मिले 67.48 करोड़, मगर खर्च नहीं होने के कारण उपयोगिता प्रमाण ही नहीं दिया गया. इस कारण वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र ने राशि रोक दी.
- आसीसीडी स्कीम के तहत 2020-21 में 1777.29 लाख मिले, मगर खर्च 1019.75 लाख किये.
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1696.93 लाख मिले, मगर खर्च 262.27 लाख हुए.
- इस कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध केंद्रीय राशि नहीं दी गयी.
- आदिवासी कल्याण से जुड़े अन्य स्कीम एससीए टू टीएसपी योजना का हाल भी खराब रहा. 2020-21 में केंद्र से मिले 7049.64 लाख के विरुद्ध 1311.83 लाख रुपये खर्च हुए. वित्तीय वर्ष 2021-22 में मिले 6531 लाख के विरुद्ध कोई राशि खर्च नहीं हुई. इस कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार ने कोई राशि नहीं दी.
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