Chaibasa : जंगलों में लगने वाली आग की रोकथाम वन विभाग के लिए एक बड़ी समस्या थी. लेकिन वन विभाग के ग्रीन बैरियर यानी रेंजर वनपाल व वनरक्षियों के प्रयास से बहुत सारे जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण पाया जा सका है. वन विभाग एक तरह से ज्यादातर प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षक है पर सीमित संसाधनों के बल पर आग पर नियंत्रण कैसे पाया जाए इसे वन विभाग के ग्रीन बैरियर के कार्य से अच्छी तरह समझा जा सकता है. विदित हो कि एक जनवरी 2022 से अब तक वन विभाग के चारों वन प्रमंडलों में 732 अगलगी की घटनाएं घटित हुई है. लेकिन वन विभाग के ग्रीन बैरियर्स व स्थानीय वन समितियों के प्रयास के कारण ही जंगलों में लगी आग को बुझाया जा सका है.
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वन विभाग के अधिकारी व कर्मी जुड़े हैं एसएसआई से
सभी वन प्रमंडलों के अधिकारियों से लेकर कर्मियों तक सभी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के लिंक से जुड़े हुए हैं. यदि जंगल में कहीं भी आग लग जाती है तो इसकी सूचना सेटेलाइट के माध्यम से फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया को मिल जाती है और एफएसआई से पूरी जानकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को मिल जाती है. इस तरह आग लगने के कुछ ही घंटों मे अधिकारी व कर्मी घटनास्थल पर पहुंचकर वहां आग बुझाने की पहल शुरू कर देते हैं. इस संबंध में चाईबासा वन प्रमंडल के अधिकारी सत्यम कुमार ने बताया कि आज ग्रीन बैरियर के वजह से कई हद तक जंगलों को बचाया जा सका है. सभी नई तकनीकों के माध्यम से आग बुझाने का काम करते हैं. उसका प्रभाव है कि जंगलों में आग के फैलाव को रोकने में हद तक सफलता मिल जाती है.
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