Chaibasa (Sukesh Kumar) : पश्चिमी सिंहभूम में वज्रपात या बिजली गिरने से मरनेवाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसके बावजूद सरकार की ओर से अब तक जिले के सरकारी स्कूलों में तड़ित चालक नहीं लगाया गया. पश्चिमी सिंहभूम जिले के प्राथमिक उत्क्रमित विद्यालय में लगभग अधिकतर विद्यालय में तड़ित चालक नहीं है. इसके कारण विद्यार्थी यहां असुरक्षित महसूस करते हैं. एक अनुमान के तहत 90 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां पर तड़ित चालक नहीं लगाया गया है. वर्ष 2009 के बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की द्वारा एक आदेश के तहत जिले के अधिकतर स्कूलों में तड़ित चालक लगाया गया था लेकिन उसके बाद कई तड़ित चालक खराब हो गए अथवा कुछ चोरी हो गए. उसके बाद से अब तक स्कूलों में तड़ित चालक नहीं लगा.
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तड़ित चालक नहीं लगने से विद्यार्थी असुरक्षित
हालांकि सरकार की ओर नए स्कूल भवन के निर्माण में लगे संवेदकों को स्कूल भवन में तड़ित चालक लगाने का आदेश दिया गया था लेकिन तड़ित चालक नहीं लगाया गया. चाईबासा के टाटा कॉलोनी मध्य विद्यालय में भी स्कूल का नया भवन तैयार हो चुका है. लेकिन अभी तक तड़ित चालक नहीं लगा. इस स्कूल में लगभग 850 की संख्या में विद्यार्थी अध्ययन करते हैं. इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय गितिलपी में भी तड़ित चालक नहीं लगा है. टाटा कॉलोनी मध्य विद्यालय के प्रभारी उपेंद्र सिंह ने कहा कि लंबे समय से इस स्कूल में तड़ित चालक नहीं लगा है इससे विद्यार्थी असुरक्षित हैं. पश्चिमी सिंहभूम जिले में व्रजपात की ज्यादातर घटनाएं होती है. वर्ष 2021-22 में अब तक 28 लोगों की मौतें व्रजपात से हुई है, जिसमें से 6 से 7 बच्चे शामिल है. हालांकि एक भी स्कूल में व्रजपात से बच्चों की मौत नहीं हुई है.
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पश्चिमी सिंहभूम के कॉलेजों में लगा तड़ित चालक
पश्चिमी सिंहभूम के कॉलेजों में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तड़ित चालक लगा दिया गया है. विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए भवन निर्माण के दौरान ही तड़ित चालक के लिए अलग से राशि की स्वीकृति की गई थी. जिसके बाद सभी कॉलेजों में तड़ित चालक लगाया है. टाटा कॉलेज, जीसी जैन कॉमर्स कॉलेज, महिला कॉलेज, पीजी विभाग तथा कोल्हान विश्वविद्यालय में तड़ित लग चुका है.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ
टाटा कॉलेज के फिजिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय गोराई ने कहा कि अधिकतर स्थानों में तड़ित चालक तो लगाए जाते हैं लेकिन वे काम नहीं करते, जिसके कारण वज्रपात जैसी घटनाएं होती है. बिजली जब ऊपर से गिरती है तो चारों ओर फैलती है. ग्रामीण क्षेत्र में पेड़ अधिक हैं जिसके कारण बिजली गिरने की अधिक संभावनाएं होती है. यदि हर ग्राम में तड़ित चालक लगाए जाए तो खतरा कम हो सकता है. झारखंड में ग्रामीण इलाकों में जनजातीय आबादी अधिक होने के कारण नुकसान ज्यादा जनजातीय को होता है. जनजातीय जीवन प्रकृति के ज्यादा करीब रहते हैं. वे कृषि या जंगल, जानवर, मछली पालन आदि पर निर्भर करते हैं. इस कारण वज्रपात का जोखिम भी उन पर अधिक होता है. पक्का घर के मुकाबले कच्चे घर में वज्रपात का नुकसान ज्यादा होता है. ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में तड़ित चालक अगर नहीं है तो ये खतरे की निशानी है. तड़ित चालक 3 बाय 3 कॉपर प्लेट से होना चाहिए.