Chaibasa (Sukesh Kumar) : कोल्हान विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में गुरुवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग व कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के संयुक्त तत्वावधान में ‘जनजाति नायकों का स्वतंत्रता में योगदान’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में महिला यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ अंजिला गुप्ता शामिल हुई. वहीं मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव अलका तिवारी मौजूद रही. संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अंजिला गुप्ता ने कहा कि कोल्हान में कई स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास सदियों है. यहां के धरती की पहचान विश्व भर में है. कोल्हान से ही स्वतंत्रता सेनानी रघुनाथ महतो 1768 में जुहाड़ विद्रोह से आंदोलन शुरू किया था. इसके अलावा पोटो हो समेत कई स्वतंत्रता नायकों का योगदान देश के लिए है. कोल्हान की धरती में अनेकों स्वतंत्रता सेनानी तैयार हुए हैं. जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है. झारखंड की एक अलग ही पहचान विश्व में है.
प्रति कुलपति ने जोहार शब्द की भी गहराई को बताया
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सचिव अलका तिवारी ने कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा गंभीरता से स्वतंत्रता सेनानियों पर काम किया जा रहा है. आज कोल्हान विश्वविद्यालय में इस तरह का सेमिनार देश के लिए सकारात्मक संदेश हैं. उन्होंने यहां के पाठ्यक्रम की भी सराहना करते हुए आने वाले दिनों में अनुसूचित जनजाति के महापुरुषों की भी जीवनी को गंभीरता से लेकर पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी आशा जताई. कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने भी अपने संबोधन में कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा बेहतर कार्य किए जा रहे हैं. उन्होंने जोहार शब्द की भी गहराई को बताते हुए कहा कि अपनी संस्कृति की पहचान अपने भाषा से ही होती है.
कोल्हान में विलकिंग्सन रूल के तहत मानकी मुंडाओं की हुई पहचान : कुलपति
मौके पर कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ गंगाधर पांडा ने कहा कि कोल्हन विश्वविद्यालय जनजाति बहुल क्षेत्र का एक मुख्य केंद्र है. कोल्हान में विलकिंग्सन रूल के तहत मानकी मुंडाओं की पहचान होती है. आजादी से पहले कोल्हान की पहचान विश्व भर में होती थी. यहां कोल विद्रोह, सिद्धू, कानू समेत कई शहीदों की यादें है, जो एक अलग पहचान दे रही है. उन्होंने कहा कि कई स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. आगे भी शामिल किया जाएगा. महिला यूनिवर्सिटी जमशेदपुर की कुलपति डॉ अंजिला गुप्ता के बातों को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने कहा कि सुझाव बेहतर है. इसे अमल में लाया जाएगा. कुलपति डॉ पांडा ने जग्गू दीवान के इतिहास के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कोल्हान विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग बेहतर काम कर रहा है जो एक गर्व की बात है.
शहीदों की जीवन को पाठ्यक्रम में उतारने का होगा प्रयास : डॉ जयंत शेखर
कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ जयंत शेखर धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि कोल्हान विश्वविद्यालय के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है. जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. कोल्हान एक ऐसे धरती है जहां बिरसा मुंडा तक पहुंच चुके हैं. झारखंड की अलग पहचान विश्व भर में है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कोल्हान के शहीदों की जीवन को पाठ्यक्रम में उतारने का प्रयास अधिक से अधिक किया जाएगा. कार्यक्रम में मुख्य रूप से टीआरएल विभाग के प्रभारी संस्कृत विभाग की एचओडी डॉ अर्चना सिन्हा, सुभाष महतो, बसंत चाकी, प्रो निशोन हेंब्रम, एलबीएसएम कॉलेज के प्रभारी प्रिंसिपल डॉ एके झा के अलावा काफी संख्या में एचओडी और विद्यार्थी गण उपस्थित थे. स्वागत भाषण डॉ अर्चना सिन्हा द्वारा दिया गया. उन्होंने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी.
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सुरक्षा में लगे थे भारी संख्या में जवान
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सचिव अलका तिवारी के सुरक्षा में लगभग 20 से 22 पुलिसकर्मियों की संख्या थे. कोल्हान विश्वविद्यालय में प्रवेश से पूर्व पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर ने निरीक्षण किया. उनके सुरक्षा में किसी तरह की चूक ना हो इसको लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से पूरी व्यवस्था की गई थी.