Chaibasa (sukesh kumar) : भले ही सरकार भाषा व सांस्कृतिक, परंपरा बचाने को लेकर करोड़ों रुपये की बात करती हो और स्थानीय नीति पर एजेंडा तैयार करती हो. लेकिन जहां बुनियादी तैयार होनी चाहिये वहां सरकार ध्यान नहीं देती. ऐसा ही हाल कोल्हान विश्वविद्यालय में जनजाति व क्षेत्रीय भाषा के विद्यार्थियों का है. स्थायी शिक्षक नहीं होने कारण कोल्हान विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में जनजाति व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है. लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. पूरे कोल्हान विश्वविद्यालय में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है. जबकि यहां हो, संथाली, कुड़माली की पढ़ाई होती है. कोल्हान में हो बहूल क्षेत्र है लेकिन यहां एक भी स्थायी शिक्षक नहीं है. कोल्हान विवि परिसर में स्थित टीआरएल विभाग भी मुखिया विहिन होकर रह गया है. बिना एचओडी के विभाग चल रहा है. हालांकि संस्कृत विभाग के एचओडी डॉ. अर्चना सिन्हा को प्रभार दिया गया है. टीआरएल विभाग में हो, कुड़माली व संथाली विषय की पढ़ाई होती है. यहां स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है लेकिन शिक्षकों की कमी है. टीआरएल विभाग में कुल सात स्वीकृति पद निर्धारित है. इसमें हो विषय का अलग से एक पद स्वीकृति है जबकि अन्य छह पद टीआरएल के नाम से है.
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पीजी विभाग के अलावा चार कॉलेजों में ही जनजाति भाषा का पद सृजन
कोल्हान विश्वविद्यालय के पीजी विभाग के अलावा मात्र चार कॉलेजों में ही जनजाति व क्षेत्रीय भाषा के लिये पद सृजित है. वहीं एलबीएसएम जमशेदपुर में एक पद ही ‘हो’ भाषा में सृजित है. जबकि घाटशिला में संथाली भाषा का एक पद ही स्वीकृति है. वहीं बाहरागोड़ा में एक संथाली तथा टाटा कॉलेज में एक हो पद की स्वीकृति है. तत्कालीन बिहार सरकार के समय से जो पद स्वीकृति है उसी के आधार पर अभी चल रहा है. कोल्हान विश्वविद्यालय के द्वारा भेजे गए नये पद सृजन की स्वीकृति तो मिल चुकी है लेकिन अभी तक अधिकारिक रूप से अधिसूचना जारी नहीं किया गया है.
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मुख्यमंत्री ने विवि के प्रस्ताव को एक साल पहले ही किया स्वीकृति, अबतक अमल नहीं
कोलहन विश्वविद्यालय प्रशासना की ओर से एक प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया गया था. इसमें विभिन्न कॉलेजों में नये पद सृजन की स्वीकृति कर सिंडिकेट में पारित कर सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा चुका था. जिसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रस्ताव की स्वीकृति पर अंतिम मुहर भी लगा दिया था. लेकिन अभी तक बहाली प्रक्रिया शुरू नहीं किया गया. जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
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159 पद की मुख्यमंत्री ने दे चुके है स्वीकृति
कोल्हान विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले अंगीभूत महाविद्यालयों और स्नातकोत्तर केंद्रों में संथाली, हो, कुडुख, कुड़माली तथा मुंडारी भाषा के संचालन के लिए शिक्षकों के पद सृजन संबंधी प्रशासी पदवर्ग समिति के लिए संलेख प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दे दी थी. संथाली, हो, कुडुख, कुड़माली तथा मुंडारी भाषा में कुल 159 शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव है. इसमें सहायक अध्यापक के 147, सह प्राध्यापक के आठ और प्राध्यापक के चार पद शामिल हैं. 14 अंगीभूत महाविद्यालयों में 135 शिक्षकों के पद सृजन का प्रस्ताव है. इसमें कुडुख भाषा में छः, संथाली भाषा में 39, हो भाषा में 39, कुड़माली भाषा में 39 और मुंडारी भाषा में 12 शिक्षकों के पद का सृजन होना है. वही, स्नातकोत्तर केंद्रों में संथाली, हो, कुड़माली और मुंडारी भाषा में 6-6 पद समेत कुल 24 शिक्षकों के पद सृजित किए जाने हैं.
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