Chaibasa (Ramendra Kumar Sinha) : ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन द्वारा ग्रामीण बैंकों को निजीकरण की ओर ले जाने की साजिश की दिशा में भारत सरकार द्वारा ग्रामीण बैंकों में IPO लाए जाने के जारी आदेश के विरोध और NRBI के गठन सहित ग्रामीण बैंकों के अन्य लंबित महत्वपूर्ण मांगों के समाधान और समर्थन में चलाए जा रहे चरणबद्ध संगठनात्मक कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को ग्रामीण बैंकों का देशव्यापी एक दिवसीय हड़ताल रहा.
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आने वाले दिनों में पूर्णकालीक हड़ताल भी संभव – सचिव
जिले में कार्यरत ग्रामीण बैंकों के 29 शाखाओं पर ताले लटके रहे. बैकों द्वारा किसी भी प्रकार का कोई कारोबार नहीं होने के कारण लगभग 15 से 20 करोड़ का करोबार प्रभावित हुआ है. झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक अधिकारी संघ के क्षेत्रीय सचिव दिवाकर बनर्जी ने इस बंद को सफल बताया और कहा कि यह बंद तो एक सांकेतिक हड़ताल था. आने वाले दिनों में पूर्णकालीक हड़ताल भी संभव है. उन्होंने बताया कि इस हड़ताल से लगभग 15 से 20 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है.
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बैंककर्मियों की मांग ये है
ग्रामीण बैंकों का निजीकरण, आईपीओ लाने का विरोध, पर्याप्त मानव शक्ति नियोजन, पर्याप्त भर्ती एवं प्रोन्नत नीति प्रवर्तक बैंकों के समान, 11वां वेतन समझौता पूर्ण रूप से लागू करना, अनुकम्पा के आधार पर भर्ती, ग्रामीण बैंकों में प्रवर्तक बैंक से अध्यक्ष को छोड़कर अन्य अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर रोक, सभी को पेंशन (सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की तिथि तक), ग्रेच्युटी सहित लम्बित मामलों का शीघ्र समाधान. दैनिक वेतन भोगी को नियमित करना एवं न्यूनतम मजदूरी भुगतान. बैंकिंग उद्योग के समान स्थानांतरण नीति फर पुनर्विचार.
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एक दिवसीय हड़ताल में ये लोग थे शामिल
इस एक दिवसीय हड़ताल में दिवाकर बनर्जी, राजेश बड़ाईक, अर्पिता गुप्ता, यशोदा देवगम, सूची जारिका, राधामुनी गुंडुवा, संतोष दास, जय प्रकाश तामसोय, चन्द्र मोहन अल्डा, सुबोध कुमार ठाकुर, स्नेहाशिष सिन्हा, अर्जुन देवगम, हरीश गोप, नितेश राम, बंटी ठाकुर, सिद्धेश्वर पान, प्रदीप कुमार सिन्हा, रोहिणी कुंकल, मोहन सिंह सुंडी, इंदु भूषण प्रसाद, उमा शंकर प्रसाद सिन्हा, सुभाशिष बक्शी, गोपाल साव, तेजपाल सिंह जायसवाल, शशिकांत प्रसाद, मुकेश लाल, मुरलीधर गर्ग पान सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.