Chaibasa (Sukesh kumar) : कुछ वर्ष पूर्व से “पोटो हो” का नाम झारखंड सहित राष्ट्रीय स्तर पर एक नायक के रूप में उभरकर सामने आया है. इसका श्रेय लंदन, कोलकाता, दिल्ली पटना के रिकॉर्ड रूम से कंगाल कर “अ लैंड ऑफ देयर ओन”फॉर्मेशन ऑफ ऑटोनोमस हो कंट्री “नामक पुस्तक का प्रकाशन करने वाले नीदरलैंड के स्कॉलर डॉ. पॉल स्ट्रीमर को जाता है. साथ ही डॉ. एम साहू लिखित “कोल्हान अंडर द ब्रिटिश रूल” और डॉ अशोक कुमार सेन लिखित “विस्मृत हो आदिवासियों की इतिहास”में भी रिकॉर्ड का उल्लेख है. 1 जनवरी को पोटो हो का शहादत दिवस है. उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने 1 जनवरी 1838 को सुबह जगन्नाथपुर के तत्कालीन थाना परिसर में स्थित पेड़ पर लटका कर फांसी की सजा दी थी.
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सरकार ने पोटो हो खेल योजना शुरू की है
झारखंड सरकार ने 2020 में पोटो हो के नाम से पोटो हो खेल योजना शुरू की है. इस योजना के माध्यम से राज्य के सभी पांच हजार पंचायतों में खेल मैदान, कपड़ा बदलने के लिए कमरे और शौचालाओं का निर्माण किया जा रहा है. यह राज्य के इतिहास और प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र समुदाय के लिए प्रश्न सृजित करने का विषय बन गया है. दरअसल अंग्रेजों ने 1837 में सत्रह वर्षों के हो विद्रोह के बाद कोल्हान को अपने नियंत्रण में ले लिया था. उस समय पोटो हो ने अंग्रेजी सरकार का विरोध किया था. उन्होंने कोल्हान के तीन बढ़, लालगढ़, आंवला पीढ़ के 22 मौजा के ग्रामीणों को एकत्रित किया था.
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अंग्रेजों ने गांव में आग लगा दी
इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ घोषणा करते हुए कहा था कि हमलोग ब्रिटिश हुकूमत के प्राधिकार को नहीं मानते. इसलिए उनके द्वारा तय की गई प्रति हल आठ अन्ना मालगुजारी नहीं देगें. इस घोषणा के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने पोटो हो और हो विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चलाया था. जिसमें राजाबासा, बालंडिया जैसे कोल्हान के कई गावों पर छापा मारा. पोटो हो पकड़ में नहीं आया तो क्रोधित होकर अंग्रेजों ने उल्लेखित गावों सहित कई गावों में आग लगा दी. इसी क्रम में पोटो हो के नेतृत्व में सेरेंग्सिया घाटी में अंग्रेजी सेना के साथ भयंकर युद्ध हुआ. जिस युद्ध में अंग्रेजी सेना हार गई थी.
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मृत्यु दण्ड की सजा सुनायी
इसके बाद फिर ब्रिटिश हुकूमत ने पोटो हो और हो विद्रोहियों को पकड़ने के लिए सघन सैन्य अभियान चलाया. जिसमें पोटो हो को 8 दिसंबर 1837 में गिरफ्तार कर लिया गया. 05 दिसंबर 1837 को जारी सरकार की पत्र संख्या.1368 के तहत साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी के पॉलिटिकल एजेंट विल्किंगसन ने बिना देर किए पांच हो विद्रोहियों के खिलाफ जगन्नाथपुर कैंप में न्यायिक प्रक्रिया पूर्ण कर मृत्यु दण्ड की सजा सुनायी. ब्रिटिश हुकूमत ने उक्त कारवाई की रिपोर्ट में लिखा था पोटो हो अदम्य साहसी और असाधारण रूप से कोल्हान के जल, जंगल, जमीन और स्वतंत्रता के दीवाने थे.
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उनकी याद में प्रत्येक साल कार्यक्रम आयोजित किये जाते है
उनके वीरता के कारण ही पोटो हो ऐतिहासिक हो गए. छात्र समुदाय, युवा वर्ग, प्रबुद्ध वर्ग, महिला, किसान, मजदूर आगामी 1 जनवरी 2023 को जगन्नाथपुर सिंकु मार्केट के पास पधार कर पोटो हो को श्रद्धां सुमन अर्पित कर गौरवान्वित हों. उस समय पोटो हो ने अंग्रेजी सरकार का विरोध किया था. क्रांतिकारी राजनेता सन्नी सिंकू ने कहा कि उन्होंने कोल्हान के तीन बढ़, लालगढ़, आंवला पीढ के 22 मौजा के ग्रामीणों को एकत्रित किया था. उनके याद में प्रत्येक साल कार्यक्रम आयोजित किये जाते है. हालांकि जिस तरह से उनका सम्मान मिलना चाहिये उस तरह से नहीं मिल पाता है. हर संगठन को एकत्रित होकर उस दिन कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत है
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