Chaibasa (Sukesh kumar) : कोल्हान विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की ओर से आगामी 12 मई से त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इसमें दर्शनशास्त्री सह महात्मा गांधी इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी वर्धा के कुलपति रजनीश कुमार शुक्ल शामिल होंगे. संगोष्ठी को लेकर तैयारी शुरू हो गयी है. आदिवासी दर्शन, संस्कृति एवं परंपरा विषय पर यह संगोष्ठी आयोजित की जायेगी. इसे लेकर शनिवार को दर्शनशास्त्र विभाग में एचओडी डॉ. दीपांजय श्रीवास्तव की अध्यक्षता में समिति की एक बैठक हुई. बैठक में प्रोफेसर मुदिता चंद्रा भी शामिल हुई. टीआरएल विभाग के कुड़माली सहायक प्रोफेसर सुभाष महतो के अलावा विभाग के अन्य शिक्षक भी मौजूद थे.
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संगोष्ठी 12, 13 व 14 मई को कोल्हान विवि के ऑडिटोरियम में आयोजित होगी. इसमें झारखंड बिहार के अलावा आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओड़िशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, के अलावा विभिन्न राज्य के विश्वविद्यालय से शोधार्थी, प्रोफेसर शिरकत करेंगे. दर्शनशास्त्र विभाग के एचओडी डॉ. दीपांजय श्रीवास्तव ने कहा कि कोल्हान विश्वविद्यालयए चाईबासा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है. वर्तमान समय में आदिवासी समाज की चिंता उसके मूल संस्कृति को लेकर गंभीर होता जा रहा है. इसी को देखते हुये देश के विभिन्न विश्वविद्यालय से आदिवासियों पर शोध करने वाले शिक्षाविद पहुंचेंगे.
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वर्धा के कुलपति होंगे मुख्य अतिथि
कोल्हान विवि के प्रवक्ता डॉ. पीके पाणी ने कहा कि तीन दिवसीय संगोष्ठी में महाराष्ट्र वर्धा के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल शामिल होंगे. मालूम हो कि प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल भारत के जाने माने दर्शनशास्त्री, आचार्य व लेखक हैं. इसके पूर्व वे भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव के रूप में सेवाएं दे चुके हैं. इनके अलावा नई दिल्ली आईसीपीआर के सचिव प्रो. सच्चिदानंद मिश्रा, सिंडिकेट सदस्य राजेश शुक्ला, कोल्हान विवि के कुलपति प्रो. गंगाधर पांडा होंगे. वहीं मुख्य वक्ता के रूप में आंध्र प्रदेश के ट्राइबल सेंटर यूनिवर्सिटी के कुलपति टीवी कटीमानी शामिल होंगे. तीन दिवसीय संगोष्ठी में देश के जानेमाने दर्शनशास्त्रिक पहुंच रहे है. संगोष्ठी को लेकर सारी व्यवस्था हो चुकी है.
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संगोष्ठी में इन बिंदूओं पर होगा विचार
आदिवासी जीवन दर्शन, आदिवासी तत्वमीमांसा, आदिवासी ज्ञानमीमांसा ,आदिवासी नीतिदर्शन, आदिवासी धर्म दर्शन, आदिवासी समाज एवं वाणिज्य, आदिवासी मानवशास्त्रीय एवं समाजशास्त्रीय दृष्टि, आदिवासी संस्कृति दर्शन, आदिवासी राजनैतिक दृष्टि ,आदिवासी शिक्षा दर्शन एवं ज्ञान ,आदिवासी विज्ञान एवं उपचार , आदिवासी साहित्य एवं भाषा , आदिवासी कला एवं संस्कृति,आदिवासी संगीत,नृत्य एवं राग पर विचार होगा.
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