Chaibasa (Sukesh Kumar) : कोल्हान विश्वविद्यालय आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थापित होने के बावजूद भी यहां क्षेत्रीय और ट्राइबल भाषा के एक भी स्थाई शिक्षक नहीं हैं. इसके कारण जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में काफी नाराजगी है. विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद इस बार तृतीय पीएचडी की प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा रही है. लेकिन इस बार भी प्रवेश परीक्षा में स्थानीय भाषा में पढ़ने वाले विद्यार्थी शोध कार्य नहीं कर सकेंगे. उक्त बातें कोल्हान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के सचिव सुबोध महाकुड़ ने कही है.
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टीआरएल विभाग में गेस्ट शिक्षकों के भरोसे हो रही पढ़ाई
उन्होंने कहा है कि कोल्हान विश्वविद्यालय के कॉलेज व विश्वविद्यालय के जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा (टीआरएल) विभाग में गेस्ट शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई हो रही है. विद्यार्थियों को इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन से क्षेत्रीय भाषा में इच्छुक विद्यार्थियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था के माध्यम से पीएचडी में सम्मिलित करने की मांग की गई है. इस मामले से संघ राज्यपाल को आवेदन देकर जल्द ही अवगत कराया.
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