Chakradharpur : चक्रधरपुर शहर में सोमवार को छठ महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है. इस दिन श्रद्धालु कद्दू-भात खाते हैं. यह परंपरा सालों से चली आ रही है. इस परंपरा के अनुसार सबसे पहले छठ व्रतियों ने भगवान सूर्य को याद कर उन्हें भोग लगाया, इसके बाद अन्य लोगों ने इसका सेवन किया. इस दिन बड़ी संख्या में लोग चक्रधरपुर शहर के संजय नदी में स्नान कर व्रत शुरू किया. इस व्रत में मिट्टी के बर्तन और चूल्हे का बहुत महत्व होता है. गेहूं को सबसे पहले साफ करके सुखाया गया. उसके बाद उसे पीसा गया. गेहूं पीसने के बाद जो आटा मिलता है उसी आटे से सभी व्यंजन बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है. मंगलवार को खरना होगा. इस दिन छठ व्रती और उनका परिवार दूध-भात, गुड़ और केला खाते हैं. 10 नवंबर को अस्ताचल सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. इसके पश्चात 11 नवंबर को उगते सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाएगा. इस अर्घ्य के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगा. इस चार दिवसीय छठ पूजा के पर्व को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए संजय नदी के तमाम छठ घाटों को साफ किया गया है, ताकि छठ व्रती को पूजा में किसी तरह की दिक्कत न आए. कोरोना महामारी के चलते लोगों को सतर्कता दिखाने को कहा गया है, प्रशासन पूजा को सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. छठ पूजा में कोरोना की गाइडलाइन का पालन हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा है.
इन घाटों में होती है छठ पूजा
चक्रधरपुर शहर के पुरानी बस्ती स्थित संजय नदी सीढ़ी छठ घाट मुख्य आकर्षक का केंद्र होता है. इसके अलावा बलिया घाट, मुक्तिनाथ धाम घाट, दंदासाई घाट, इंदकटा घाट, पंप रोड घाट, बोडदा पुल घाट, बोडदा शिव मंदिर घाट में छठ पूजा की जाती है. इन सभी घाटों में सबसे अधिक पुरानी बस्ती सीढ़ी छठ घाट में लोगों की भीड़ उमड़ती है.