Chakradharpur : सरकार और प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद पश्चिम सिंहभूम जिले में मानव तस्करी पर लगाम नहीं लग पा रहा है. बुधवार को चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर जीआरपी की सक्रियता से पुलिस ने मानव तस्करी का शिकार बनने से आठ युवतियों को बचा लिया. इन युवतियों को एक महिला तस्कर काम दिलाने के बहाने तमिलनाडु के तिरुपुर ले जा रही थी. मानव तस्कर के हाथों बचाई गई युवतियां चक्रधरपुर प्रखंड के बईपी पंचायत के कोमाय और इचाकुटी गांव की रहने वाली हैं. जानकारी के मुताबिक सुबह युवतियों को लेकर मानव तस्कर महिला मनीषा जोंको चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पहुंची.
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जीआरपी को शक होने पर इन युवतियों से पूछताछ की. पूछताछ के क्रम में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर जीआरपी ने मानव तस्करी के शक में सभी युवतियों को टाटा-एर्नाकुलम ट्रेन में सवार होने से रोक दिया और इसकी जानकारी चाइल्ड लाइन को दे दी. सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची चाइल्ड लाइन की निदेशक नरगिस खातून ने युवतियों से पूछताछ की और उनके आधार कार्ड की जांच की. इससे पता चला कि चार युवतियां नाबालिग हैं, लेकिन उनके आधार कार्ड को फर्जी कॉपी बनाकर उन्हें बालिग कर दिया गया है.
नाबालिग युवतियों का फर्जी आधार कार्ड बनाया गया था
इस मामले में कोमाय की रहने वाली महिला मानव तस्कर मनीषा जोंको से भी पूछताछ की गई तो वह भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई. इसके बाद जीआरपी ने सभी युवतियों को चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया. नरगिस खातून ने बताया की आठ में से चार युवतियां नाबालिग हैं. इन्हें पैसों का लालच देकर सब्जबाग दिखाकर फर्जी आधार कार्ड बनवाकर काम दिलाने के बहाने बाहर ले जाया जा रहा था. ऐसे मामलों में देखा गया है कि युवतियों को बाहर ले जाकर उनका शोषण किया जाता है. बहरहाल चाइल्ड लाइन अब इन युवतियों को एक रात अपने संरक्षण में रखेगी. उसके बाद इन्हें इनके परिजनों को जरुरी औपचारिकता पूरी कर सौंप दिया जाएगा. इधर युवतियों को तमिलनाडु ले जा रही महिला तस्कर ने बताया की इन्हें तिरुपुर में सूत बनाने का काम के लिए ले जा रही थी.