Chakuliya : अल्प वर्षा मानसून के भरोसे धान की खेती करने वाले किसानों के लिए परेशानी की सबब बन गई है. खेतों की तस्वीरें कहती हैं कि बिन पानी सब सून है. धान की रोपनी नहीं हो रही है. कहीं किसान सावन के महीने में जोभका से खेत में नाला का पानी डाल रहे हैं, ताकि धान की रोपनी कर सकें तो कहीं खेतों में मवेशी चर रहे हैं. वहीं, चंद किसानों के पास सेलो बोरिंग की व्यवस्था है तो वे बोरिंग से खेत में पानी डाल रहे हैं. धान के बिचड़े मुरझा रहे हैं. अल्प वर्षा के कारण चाकुलिया प्रखंड में महज 10 प्रतिशत धान के रोपनी हुई है. ऐसे में किसान वर्षा के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं.
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करोड़ों की लागत से बनाए गए चेकडैम सफेद हाथी हो रहे हैं साबित
दरअसल, क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा नहीं के बराबर है. करोड़ों की लागत से विभिन्न छोटी नदियों और नालों पर बनाए गए चेकडैम सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. जहां कहीं लिफ्ट इरिगेशन योजनाएं थीं, वर्षों से वे सभी बंद पड़ी हैं. अरबों की लागत से निर्मित स्वर्णरेखा परियोजना के तहत नहर खुद पानी की तलाश कर रही है. मुख्य और शाखा नहर में भी पानी नहीं है. ऐसे में किसानों के समक्ष मानसून को छोड़कर सिंचाई के लिए दूसरा कोई विकल्प नहीं है. वैसे दो दिनों से रुक-रुक कर रिमझिम बारिश हो रही है. लेकिन यह धान की खेती के लिए पर्याप्त नहीं है.
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