Chakulia : चाकुलिया प्रखंड की जमुआ पंचायत में मुख्य सड़क से सटे हरिनिया गांव के कुचाशोली टोला के 20 आदिवासी परिवार जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों की उपेक्षा से समस्याओं के गुलाम बने हैं. बरसात में इस टोला के ग्रामीण टापू की जिंदगी जीने के लिए अभिशप्त हैं. पोलपोला नदी के किनारे बसे टोला तक जाने के लिए रास्ता नहीं है. खेत की मेंढ़ ही एकमात्र विकल्प है.17 साल से एकमात्र चापाकल खराब है. ग्रामीण खाल का पानी पीते हैं. बरसात में बच्चों का स्कूल आना मुश्किल हो जाता है. हालत तो यह है कि एक रास्ता के बिना गांव के युवक और युवतियों की शादी भी मुश्किल सी हो गई है.
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खेत की मेढ़ ही एकमात्र विकल्प
टोला तक जाने के लिए खेत की मेंढ़ ही एकमात्र विकल्प है. बरसात में इस टोला में साइकिल भी नहीं जा सकती है. टोला से गर्भवती माताओं और मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए खटिया पर ढोकर करीब एक किलोमीटर दूर सड़क तक लाना पड़ता है. स्कूली बच्चे स्कूल नहीं आ पाते हैं.
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चापाकल 17 साल से खराब
टोला का एकमात्र चापाकल विगत 17 साल से खराब है. मरम्मत की दिशा में कोई पहल नहीं हुई. बाध्य होकर ग्रामीणों को पोलपोला नदी के किनारे बनाए गए चुंआ से पेयजल लेना पड़ता है. इस टोला में सोलर जलापूर्ति योजना भी नहीं है. कुंआ भी नहीं है. ग्रामीण सालों भर नदी का पानी पीते हैं. कई लोगों ने तो निजी तौर पर बोरिंग कराया है.
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घर-घर शौचालय निर्माण नहीं हुआ
स्वच्छ भारत अभियान के तहत घर-घर शौचालय निर्माण की सुनामी चली. इस टोला में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ. यहां के ग्रामीण खुले में शौच करने के लिए विवश हैं. ग्रामीणों के मुताबिक टोला में तीन प्रधानमंत्री आवास बने हैं. तत्कालीन विधायक विद्युत महतो की विधायक निधि से 500 फुट पीसीसी और तत्कालीन विधायक कुणाल षाड़ंगी की विधायक निधि से एक सांस्कृतिक भवन का निर्माण हुआ है.
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रास्ता के बिना जिल्लत की जिंदगी जी रहे- ग्रामीण
टोला के युवा इस बदहाली से मर्माहत हैं. चंदू हांसदा और राम राम हांसदा कहते हैं कि एक रास्ता के बिना हम जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं. रास्ता नहीं होने के कारण हमें 10 रुपया प्रति किलो की दर से धान बेचना पड़ता है. 100 रुपए का बांस 30 से 40 रूपया में बेचना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी तो मरीजों और गर्भवती माताओं को अस्पताल ले जाने में होती है. युवाओं ने कहा कि रास्ता नहीं होने के कारण टोला के युवक और युवतियों की शादी करनी भी मुश्किल सी हो गयी है.
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सड़क बन जाए तो समस्या का हो सकता है समाधान
इन युवाओं का कहना है कि खेत के बीच अगर रास्ता बन जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है. या फिर टोला को बहरागोड़ा के कोसाफालिया से जोड़ने के लिए पोलपोला खाल पर एक पुलिया बन जाए तो आवागमन में सुविधा हो जाएगी. मगर इसके लिए पहल नहीं हो रही है.