Chandil (Dilip Kumar) : सच ही कहा जाता है कि प्यार का कोई जाती या धर्म नहीं होती. प्यार तो बस दो दिलों के बीच होता है. इसके लिए प्रेमी जाति, धर्म सब कुछ छोड़ सकते हैं. चांडिल प्रखंड क्षेत्र में रविवार को ऐसा ही कुछ देखने को मिला. चांडिल प्रखंड के आसनबनी, शाहीझरना के रांगाखेरना टोला निवासी श्याम हांसदा को पूर्वी सिंहभूम जिला के डुमरिया प्रखंड की रहने वाली रोबिता टुडू से प्रेम हो गया. दोनों ने एक साथ जीने-मरने की कसमें खाई. प्यार के परवान चढ़ने के बाद श्याम हांसदा रोबिता को अपने घर ले आया. लेकिन दोनों के प्यार के बीच समाज आड़े आ गया. दरअसल, रोबिता का परिवार ईसाई धर्म अपना चुका था और श्याम हांसदा का परिवार सरना धर्म से जुड़ा हैं.
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लड़की ने धर्म बदलना किया स्वीकार
इस मसले को लेकर सरना धर्म के अगुवाओं ने बैठक की. पहली बैठक दो अप्रैल को हुई, जिसमें उक्त युवती को समाज के बीच लाने के लिए सरना धर्म में वापसी कराने के बाद विधि-विधान के साथ शादी कराने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद रविवार को दूसरी बैठक हुई. इसके बाद शाहीझरना टोला रांगाखेरना में ईसाई धर्म से सरना धर्म में वापसी के लिए संथाल समाज के लोगों ने अनुष्ठान आयोजित किया. बारहा दिशोम तोरोफ पारगाना विर्धान किस्कू, मांझी बाबा गोविंद किस्कू व दिसोम नायके (पुजारी) फकीर चंद्र सोरेन ने संथाली रीति रिवाज से विधिवत पूजा-अर्चना कर रोबिता टुडू की सरना धर्म में वापसी कराई.
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रोबिता के पिता ने अपनाया था ईसाई धर्म
पूर्वी सिंहभूम जिला के डुमरिया प्रखंड अंतर्गत भीतर आमदा के रहने वाले रोबिता के पिता सिंदु टुडू ने कुछ साल पहले ईसाई धर्म अपना लिया था. रोबिता ने बताया कि उनका परिवार पहले सरना धर्म में ही थे. उनके पूर्वज सरना थे, उनके पिता ने ईसाई धर्म अपनाया था. इसलिए उसे सरना धर्म अपनाने में दुख नहीं बल्कि खुशी महसूस हो रही है. उसे सरना धर्म अपनाने पर उनके पिता को भी किसी प्रकार की आपत्ती नहीं है. वहीं दिसोम नायके (पुजारी) फकीर चंद्र सोरेन ने कहा कि भीतर आमदा के माझी बाबा व समाज के अन्य अगुवाओं से इस संबंध में विचार-विमर्श किया जा चुका है. एक वर्ष पहले भी चांडिल प्रखंड के पाटा में ऐसा ही एक मामला को सुलझाया गया था. उस समय भी युवती ने ईसाई धर्म छोड़कर सरना धर्म अपनाया था.