Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में शुक्रवार को सुहागिन महिलाओं ने विधि-विधान के साथ वट सावित्री की पूजा की. वट सावित्री की व्रत रखकर महिलाओं ने अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और आरोग्य का वरदान मांगा. हिंदी पंचांग के अनुसार जेष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से वर्ती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अनुमंडल के विभिन्न गांवों में सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना कर पति की दीर्घायु और पूरे परिवार की सुख समृद्धि के लिए वट वृक्ष की परिक्रमा कर रक्षा सूत्र बांधा. इसके बाद व्रती महिलाओं ने पंडित व पुरोहितों से सावित्री और सत्यवान की कथा सुनी.
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पूजा सामग्री का होता है विशेष महत्व
वट सावित्री पूजा में पूजन सामग्री का विशेष महत्व रहता है. पूजा के लिए बांस का पंखा, लाल या पीला धागा, पांच, सात या नौ प्रकार के फल, फूल, धूप, सिंदूर, श्रृंगार सामग्री, लाल कपड़ा, अक्षत, पवित्र जल से भरा पात्र आदि का होना अनिवार्य रहता है. मान्यता है कि सावित्री ने अपनी पतिव्रता धर्म के बल पर यमराज से अपने पति के प्राणों की रक्षा की थी. मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों में त्रिनेत्रधारी शिव का निवास होता है. इसलिए इस वृक्ष की पूजा से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है. इस व्रत के प्रभाव से व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अखंड सुहाग की कामना के लिए मनाए जाने वाले व्रत को लेकर सुहागिनों में काफी उत्साह देखा गया.