Chandil (Dilip Kumar) : बालू माफिया इन दिनों चांडिल अनुमंडल क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सुवर्णरेखा समेत अन्य नदियों का सीना छलनी करने में लगे हुए हैं. सुवर्णरेखा नदी से रोजाना अवैध तरीके से बालू का उत्खनन कर भंडारण और परिवहन करने का काम निरंतर जारी है. गौरतलब है कि बालू का अवैध रूप से परिवहन उस समय अधिक होता है जब सड़कों पर पुलिस अधिक सजग होकर गश्ति करती है. सर्वविदित है कि रात के वक्त पुलिस अधिक सजग और सचेत होकर क्षेत्र की निगरानी करती है. बालू का गैरकानूनी रूप से परिवहन भी रात के वक्त ही होता है. इसके बावजूद बालू कारोबारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है. अवैध रूप से बालू खनन और परिवहन को लेकर प्रशासन की मौन स्वीकृति मिली हुई है. इससे बालू कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं. सरकार की किरकिरी होने के बाद भी पुलिस, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी जनता के समझ से परे है.
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जगह-जगह किया गया भंडारण
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के तिरुलडीह, ईचागढ, चौका, चांडिल व नीमडीह थाना क्षेत्र में जगह-जगह बालू का अवैध भंडारण किया गया है. बताया जाता है कि तिरुलडीह, ईचागढ़ और चांडिल थाना के कपाली ओपी क्षेत्र से अवैध रूप से बालू खनन जोरों पर चलता है. अंधेरा छाते ही बालू कारोबारी सक्रिय हो जाते हैं और अपने गोरखधंधे को अंजाम देना शुरू करते हैं. कहीं-कहीं दिन के उजाले में भी नदी घाटों से बालू उठाव किया जाता है. रोजाना सैकड़ों हाइवा पर बालू लोड कर विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है. वहीं नदी घाटों के आस-पास के क्षेत्र में बालू का भंडारण भी किया जाता है. ईचागढ़ थाना क्षेत्र के पातकुम-गौरांगकोचा क्षेत्र के साथ इससे सटे चौका थाना क्षेत्र में भी बालू का अवैध भंडारण किया गया है. वहीं तिरुलडीह थाना क्षेत्र के कई स्थानों में बालू का भंडारण कर कारोबार किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर अवैध खनन, भंडारण व परिवहन से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
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चेकनाका हटते ही परवान चढ़ा गौरखधंधा
नदियों में हो रहे अवैध उत्खनन से जहां सरकार को लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है. इसके साथ ही नदियों के अस्तित्व पर भी संकट गहराता जा रहा है. बालू उत्खनन को लेकर गांवों में हमेशा विवाद की स्थिति बनी हुई रहती है. हर जगह ग्रामीणों में रोष की भावना देखने को मिल रही है. वाहनों के ओवरलोड परिवहन से सड़कों की स्थिति भी काफी खस्ताहाल हो रही है. इसे तत्काल नहीं रोका गया तो क्षेत्र की नदियों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो जाएगा. ग्रामीणों ने बताया कि चेकनाका हटाए जाने के बाद तो बालू माफियाओं के दिन ही बदल गए. बालू का अवैध परिवहन रोकने के लिए क्षेत्र में जगह-जगह चेकनाका लगाया गया था, तब बालू का अवैध करोबार बंद था. चेकनाका हटते ही इस धंधे में बाढ़ सी आ गई है.
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