Chandil (Dilip Kumar) : पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि 1932 की खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाने का झुनझुना झामुमो, लोबिन हेंब्रम, कुछ छात्र नेता और जयराम महतो आदि जनता को दिग्भ्रमित कर अगले चुनाव के लिए चालू रखे हैं, जो कभी भी लागू नहीं हो सकता है. क्योंकि झारखंड हाईकोर्ट ने इसको पूर्व में 27 नवंबर 2002 में इसे खारिज किया हुआ है. 1932 खतियान वालों को पहले सुप्रीम कोर्ट जाकर इसको पुनर्बहाल कराना होगा. अन्यथा यह झारखंड के आदिवासी मूलवासियों को ठगने का एक महापाप है. सालखन मुर्मू शनिवार को चांडिल प्रखंड के चिलगु में सेंगेल सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि झामुमो की बी टीम ओलचिकी आंदोलन की बात करती है, विधायकों को घेरने की बात करती है जबकि वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार चाहेगी तो तुरंत संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा बना सकती है.
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संताली प्रथम राजभाषा बनते ही ओलचिकी स्वतः लागू हो सकती है
संताली भाषा झारखंड की प्रथम राजभाषा बनते ही स्वतः ओल चिकी लागू हो सकती है. सेंगेल सभा के अंत में सेंगेल एकता प्रार्थना किया गया और मणिपुर हिंसा और आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के खिलाफ तिलका मुर्मू चौक में मणिपुर सरकार का पुतला दहन किया गया. चिलगु में पंचायत भवन के पास आयोजित सेंगेल सभा की अध्यक्षता चांडिल प्रखंड सेंगेल परगना देवनाथ हेमरोम ने किया. सभा में पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के अलावे आदिवासी सेंगेल अभियान के केंद्रीय नेता सोनाराम सोरेन, बिमो मुर्मू भी शामिल हुए. इस अवसर पर सर्वसम्मति से चांडिल प्रखंड के सेंगेल अध्यक्ष सोनातन किस्कु, उपाध्यक्ष लुसकु हांसदा और शंभूनाथ मार्डी, महासचिव रतन मार्डी, सचिव मिथुन मुर्मू को नियुक्त किया गया.
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एकजुटता बनाने पर हुई चर्चा
इस अवसर पर समाज में एकजुटता बनाए रखने पर चर्चा की गई. उपस्थित ग्रामीणों ने कहा कि जब तक आदिवासी गांव-गांव में एकजुट नहीं होंगे उनके साथ अन्याय, अत्याचार, शोषण जारी रहेगा. गांव में आदिवासी एकता के लिए नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, महिला विरोधी मानसिकता, वोट की खरीद बिक्री आदि रोकना होगा. मौके पर कहा गया कि आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में वंशानुगत नियुक्त माझी-परगना की जगह जनतांत्रिक तरीके से इनकी नियुक्ति एकता और प्रगति के लिए जरूरी है.