Chandil (Dilip Kumar) : कुदरत के करिश्मा से लोग कभी-कभी आश्चर्य में पड़ जाते हैं. कुदरत हमेशा हमें देती ही रही है, हमसे लेती नहीं. लोग कभी कुदरत का एहसान नहीं मानते और कुदरत के विपरीत काम करते है. कुछ ऐसा ही कुदरत का करिश्मा दिखा चांडिल प्रखंड के जारियाडीह गांव के समीप टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 के किनारे. यहां पर एक बोरिंग ऐसा है जहां ना मोटर लगा है ना पाईप, ना कोई नल, लेकिन इस बोरिंग से लगातार जलधारा बह रही है. यह कुदरत का करिश्मा ही है. स्वच्छ जल की तेज धारा सभी के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है. दरअसल, एनएच को फोरलेन करने के दौरान जरियाडीह में वाहन चालों के लिए रेस्ट रूम बनाया जा रहा है. जहां वाहन चालकों के लिए सभी प्रकार की आवश्यक सुविधाएं मौजूद रहेगी. वहीं पर एक डीप बोरिंग के लिए एक माह पहले गड्ढ़ा खोदवाया गया. बोरिंग खुदाई का काम खत्म होते ही यहां भूगर्भ से जल की धारा बहने लगी. तब से लेकर यहां बोरिंग से तेज जलधारा बह रही है.
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योजना बनाकर पानी को खेतों तक पहुंचाने की जरूरत
बोरिंग से निकलने वाली पानी पर जबतक नियंत्रण नहीं पाया जाता तबतक टंकी से जोड़ना संभव प्रतित नहीं होता है. वहीं पिछले एक माह से अधिक समय से बोरिंग का पानी बेकार बह रहा है. इसके सदुपयोग को लेकर अबतक कोई चर्चा भी शुरू नहीं हो सका है. ऐसे में भुगर्भ जल का इस प्रकार बेकार बह जाना भविष्य के लिए दुखदायी हो सकता है. योजना बनाकर इस पानी को खेतों तक पहुंचाया जा सकता है. जिससे खेतों की प्यास बुझेगी और किसान लाभांवित होंगे. निरंतर बह रहे पानी का उपयोग आसपास के ग्रामीण और सड़क पर चलते वाहन चालक नहाने और वाहन धोने के लिए कर रहे हैं. प्रकृति के इस करिश्मे को संरक्षित रखते हुए इसके सदुपयोग करने की जरूरत है.
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