Chandil (Dilip Kumar) : ईचागढ़ प्रखंड के देवलटांड में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक महोत्सव धर्म आराधना के साथ मनाया गया. मंदिर व घरों में भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक के अवसर पर पूजा-पाठ व धार्मिक विधान किए गए. गांव के दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में आयोजित जन्म कल्याणक महोत्सव में भक्तामर स्तोत्र का पाठ, संगीतमय भजन, महाआरती और पालना झुलाना आदि कार्यक्रम किए गए.
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गांव की जैन धर्मावलंबी महिलओं ने मौके पर भगवान के जन्मोत्सव पर मंगल गीत गाई. वहीं उपस्थित श्रद्धालुओं ने गीत व नृत्य कर खुशी मनाया. जन्म कल्याणक के अवसर पर देवलटांड में भगवान आदिनाथ के बाल रूप की प्रतिमूर्ति बनाई गई थी, जिसके साथ श्रद्धालुओं ने जमकर ठुमके लगाए. प्रतिमूर्ति के साथ लोगों ने बारी-बारी से सेल्फी भी उठाया.
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जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं भगवान ऋषभदेव
जन्म कल्याणक कार्यक्रम में संघस्थ क्षुल्लिका 105 आप्तमति माताजी, ब्रह्मचारिणी विदुषी अनीता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी आदि भी शामिल हुए. माताजी और दीदियों ने भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक पर लोगों को बधाईयां दी. आचार्य रत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज की शिष्याओं ने भगवान आदिनाथ के बारे में उपस्थित लोगों को जानकारी दी. दीदियों ने बताया कि जैन पुराणों के अनुसार अंतिम कुलकर राजा नाभिराज और महारानी मरुदेवी के पुत्र भगवान ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण नवमी को अयोध्या में एक इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार में हुआ था.
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भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं. उन्हें आदिनाथ भी कहा जाता है. जैन पुराण साहित्य में अहिंसा, अस्तेय, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प और कला का उपदेश ऋषभदेव जी ने ही दिया है. उन्हें ऋषभनाथ, ऋषभदेव, आदिब्रह्मा, पुरुदेव और वृषभदेव भी कहा जाता है.