- महाराज की पांच शिष्या पहुंचीं देवलटांड, मंदिर में की पूजा-अर्चना
Chandil (Dilip Kumar) : देवलटांड स्थित प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर (देवल) में आचार्य रत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज का 37वां मुनि दीक्षा दिवस मनाया जाएगा. रविवार 31 मार्च को मनाए जाने वाले मुनि दीक्षा दिवस के आयोजन को लेकर ईचागढ़ प्रखंड के देवलटांड में भव्य तैयारियां की जा रही है. कार्यक्रम का आयोजन संघस्थ ब्रह्मचारिणी विदुषी दीदी, अनीता दीदी, शशि दीदी, रेखा दीदी, मंजुला दीदी और ललिता दीदी के सानिध्य में होगा.
इसे भी पढ़ें : आफताब के सिर पर किसका हाथ? शहर अंचल में किसकी शह पर कुर्सी जमाकर बैठता?
देवलटांड ग्रामवासी और सकल सराक जैन समाज झारखंड प्रांत की ओर से आयोजित मुनि दीक्षा दिवस कार्यक्रम के लिए पांचों संघस्थ ब्रह्मचारिणी दीदी गुरुवार की देर शाम देवलटांड पहुंची. गांव पहुंचे पर ग्रामीणों ने गांव के बाहर भव्य रूप से पांचों दीदियों का स्वागत किया और उन्हें गांव में आदर पूर्वक प्रवेश कराया. गांव पहुंचने के बाद दीदियों ने गुरुवार की देर शाम देवलटांड दुर्गा मंदिर प्रांगण में लोगों को प्रवचन भी दिया. वहीं शुक्रवार की सुबह देवल में विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी किए.
इसे भी पढ़ें : आदित्यपुर : सड़क किनारे लगाए गए ठेला यातायात प्रभारी ने किया जब्त
ऐसे मिली थी ज्ञानसागर महाराज को दीक्षा
आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज का बचपन का नाम ‘उमेश’ था. उमेश ने मात्र 13 वर्ष की आयु में बाजार की वस्तुएं ना खाने का संकल्प लिया. आचार्य उन्होंने वीरगांव जिला अजमेर (राजस्थान) में विराजित संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज से 1974 में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण कर लिया और विशेष परिस्थिति को छोड़कर आजीवन रेल व बस का त्याग कर दिया. उन्हें पांच नवंबर 1976 को सोनागिर सिद्धक्षेत्र में क्षुल्लक दीक्षा के संस्कार मिले. बाद में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से मुनि दीक्षा ली.
इसे भी पढ़ें : राहुल गांधी ने कहा, सशक्त महिलाएं भारत की तकदीर बदल देंगी…तीन में से सिर्फ एक महिला के हाथ में रोजगार क्यों?
क्षुल्लक गुण सागर जी ने यह जान लिया कि मोक्ष मार्ग में लंगोटी भी बाधक है इससे छुटकारा पाना चाहिए. 31 मार्च 1988 को अनेक चमत्कारों के साक्षी भगवान चंद्रप्रभु जी के समक्ष सोनागिर सिद्धक्षेत्र में आचार्य सुमतिसागर जी महाराज ने दो दिगंबर जैनेश्वरी दीक्षाएं प्रदान की और क्षुल्लक गुण सागर जी के ज्ञान के क्षयोपशम को देखते हुए उन्हे दिगंबर मुनि श्री ज्ञान सागर महाराज के नाम से घोषित किया.
इसे भी पढ़ें : बिहार : महागठबंधन में सीट बंटवारे का ऐलान, राजद 26, कांग्रेस 9 और लेफ्ट 5 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव
देवलटांड से था विशेष लगाव
आचार्य रत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज का देवलटांड से विशेष लगाव था. वे समय-समय पर देवलटांड स्थित प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर पहुंचते थे और स्थानीय सराक बंधुओं से मिलते थे. उन्होंने सराक बाहुल इलाके में चातुर्मास स्थापित किया, झोपड़ियों में निवास कर अपने बिछुड़े सराको को बताया कि तुम ‘श्रावक’ हो तुम्हारे पूर्वजों ने जैनत्व को धारण किया था. आचार्य रत्न के देवलटांड से प्रेम के कारण ही उनके शिष्याओं ने उनका मुनि दीक्षा दिवस देवलटांड में मनाने का निर्णय लिया. मुनि दीक्षा दिवस कार्यक्रम को लेकर देवलटांड के अलावा आसपास के सराक बहुल क्षेत्रों में उत्साह का माहौल है.
इसे भी पढ़ें : झारखंड में राजद को दो सीट मिलने की उम्मीद, आज पटना से हो सकता है ऐलान
देवलटांड में पूरा गांव एकजुट होकर समारोह को सफल बनाते हैं. मुनि दीक्षा दिवस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समूचा गांव एकजुट होकर काम कर रहा है. कार्यक्रम में दूर-दराज के लोगों के शामिल होने की संभावना है. इसको लेकर विशाल पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि बाहर से पहुंचने वाले लोगों को किसी प्रकार का दिक्कत ना हो. टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 से गांव तक लोगों को पहुंचाने की व्यवस्था आयोजक की ओर से किया गया है. वहीं बाहर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के रहने व भोजन की भी व्यवस्था किया गया है.