Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल डैम रोड स्थित राणी सती दादी मंदिर में हर साल अगहन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर राणी सती दादी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसे मंगसीर नवमी महोत्सव भी कहा जाता है. वहीं, कोरोना काल के दो वर्ष के बाद इस वर्ष चांडिल में मंगसीर महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इसको लेकर मंदिर प्रबंधन कमेटी ने भी तैयारी शुरू कर दी है.
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त्रिशूल रूप की होती है पूजा
इस वर्ष मंगसीर नवमी महोत्सव 17 व 18 नवंबर को मनाया जाएगा. कमेटी ने बताया कि मंदिर में राणी सती दादी का कोई आकार नहीं है, बल्कि त्रिशूल रूप की पूजा की जाती है. यहां राणी सती को नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है. नारी शक्ति का प्रतीक मानते हुए ही पूजा करते हैं, ताकि नारियों में आत्मसम्मान व सतीत्व की भावना जागृत हो.
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दादी का होगा भव्य श्रृंगार
दो दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ 17 नवंबर की शाम ज्योत प्रज्वलित करने के साथ होगा. दूसरे दिन 18 नवंबर को दादी का भव्य श्रृंगार किया जाएगा. इसके साथ ही गजरा उत्सव, सवामनी, चुनरी महोत्सव, दादी का खजाना व छप्पन भोग के साथ महोत्सव मनाया जाएगा. राणी सती देवी की मंगला आरती उतार कर उनकी पूजा की जाएगी. इसके बाद दोपहर में महिलाओं द्वारा मंगल पाठ किया जाएगा.
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महोत्सव को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह
मंदिर में प्रसाद पाने के बाद रात को स्थानीय कलाकारों द्वारा भजन-कीर्तन किया जाएगा. वहीं, कोरोना काल के बाद मनाए जा रहे मंगसीर महोत्सव को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. विदित हो कि श्रीश्री राणी सती दादी मंदिर में मंगसीर नवमी महोत्सव के आयोजन की बागडेार महिलाओं के हाथों में ही रहती है.
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