Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल अनुमंडलीय अस्पताल ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इसके बनने से ना केवल चांडिल अनुमंडल बल्कि आस-पास के क्षेत्र के मरीजों को भी समुचित इलाज की सुविधा मिलेगी. सरकार के स्तर से चांडिल के गांगुडीह में वर्षों से अधूरे पड़े अस्पताल भवन को पुनर्विकसित करने की कवायद शुरू करने से लोगों में आशा जगी है कि उन्हें अब बहुत जल्द स्वास्थ्य की समुचित सुविधा मिलेगी. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कमजोरी रही है कि इतने लंबे अरसे तक अस्पताल भवन अधूरा ही रहा. अनुमंडलीय अस्पताल भवन निर्माण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन विधायक सुधीर महतो (अब दिवंगत) ने वर्ष 2008 में किया था. काम शुरू हुआ और पूरा होने से पहले ही अधर में लटक गया. अस्पताल निर्माण का काम वर्ष 2012 में पूरा करना था. इसके बाद तत्कालीन विधायक साधु चरण महतो (अब दिवंगत) ने अस्पताल भवन को पूरा करवाने के जुगत में लग गए. उनके कार्यकाल वर्ष 2017 में भी भवन का निर्माण पूरा करने के लिए राशि आवंटित हुआ था. लेकिन भवन अधूरा ही रह गया.
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अस्पताल के साथ बनेगा आवासीय भवन
गांगुडीह में चांडिल अनुमंडलीय अस्पताल भवन के साथ आवासीय भवन भी बनेगा. सरकार की ओर से स्वीकृत 17 करोड़ 51 लाख 56 हजार 700 की स्वीकृत राशि में क्या काम होगा इसकी भी विस्तृत जानकारी दी गई है. इस राशि से अस्पताल भवन के अलावा चतुर्थ वर्गीय कर्मी, नर्स व पारा मेडिकल स्टाफ और चिकित्सकों के लिए आवासीय भवन का निर्माण कराया जाना है. अस्पताल ब्लॉक के अलावा अग्निशमन, बिजली, मेडिकल गैस पाइपलाइन, मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर, पर्दा, फर्नीचर, एएचवीएसी काम और सौंदर्यीकरण का काम किया जाना है. यानी स्वीकृत राशि से अस्पताल भवन और आवासीय भवन का हर काम करना है. यहां तक की फर्नीचर के साथ पर्दा भी लगाना है. ऐसे में अस्पताल भवन बनने के बाद इसे शुरू करवाना मुश्किल काम नहीं होगा. सभी संसाधन उपलब्ध होने पर मरीजों को बेहतर सुविधा भी तत्काल मिलने लगेगा.
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पति को किया वादा निभाने की कोशिश
ईचागढ़ की विधायक सविता महतो ने चुनावी वादे को पूरा कर अपने दिवंगत पति सुधीर महतो के सपने को पूरा करने का प्रयास कर रही है. विधानसभा पटल के अलावा कई मंचों पर उन्होंने अनुमंडलीय अस्पताल भवन को पूरा कर इसे शुरू करने की आवाज उठाई. अब उनका प्रयास रंग लाया और सरकार की ओर से अधूरे भवन को पूरा कर अस्पताल को शुरू करने की दिशा में कवायद शुरू कर दी गई. ऐसे में बेहतर व बुनियादी चिकित्सा सुविधा के लिए तरस रही चांडिल अनुमंडल क्षेत्र की जनता के बीच आशा जगी है. सौ बेड का अस्पताल भवन के अधूरा रहने के कारण चांडिल की जनता को बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर, रांची या पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जाना पड़ता है. समय पर बेहतर इलाज नहीं मिलने के कारण और आर्थिक तंगी के कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. निर्माण कार्य बंद रहने के कारण सौ बेड की क्षमता वाला विशाल अस्पताल भवन अब धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.
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मिलेगी बेहतर चिकित्सा सुविधा
चांडिल अनुमंडलीय अस्पताल भवन का निर्माण नहीं होने के कारण मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है. अनुमंडल क्षेत्र से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 32 का करीब 30 किलोमीटर और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 33 का करीब 55 किलोमीटर क्षेत्र गुजरता है. यहां रोज होने वाली छोटी-बड़ी सड़क दुर्घटना में लोग घायल होते हैं. अस्पताल नहीं रहने के कारण घायलों को समय पर उचित चिकित्सा नहीं मिल पाता है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्राथमिक उपचार के बाद घायलों को एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर भेज दिया जाता है. इसके साथ ही अनुमंडल क्षेत्र के मरीजों को भी बेहतर इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर भेजा जाता है. अनुमंडलीय अस्पताल बन जाने से लोगों को चांडिल में ही बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलेगी.