Chandil (Dilip Kumar) : बड़े अस्पतालों में शुमार चांडिल प्रखंड के तामुलिया स्थित ब्रह्मानंद अस्पताल में आयुष्मान योजना से इलाज बंद कर दिया गया है. इसका कारण बकाये बिलों का भुगतान नहीं होता बताया जा रहा है. वहीं, अस्पताल में आयुष्मान योजना बंद होने से क्षेत्र के गरीब-किसानों को योजना के तहत इलाज कराने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विदित हो कि चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन खेती-किसानी है. अधिकांश जरूरतमंद लोग सरकार के आयुष्मान योजना से जुड़े हैं. उन्हें अपने क्षेत्र में स्थित बड़े अस्पताल ब्रह्मानंद हृदयालय में इलाज की सुविधा मिल रही थी, लेकिन अब यह सुविधा भी बंद हो गई है. ऐसे में अब उन्हें इलाज के लिए जमशेदपुर या अन्य शहरों के अस्पताल में जाना पड़ रहा है.
इसे भी पढ़े : चांडिल : डोबो में हाईवा से टकराकर पशु लदा पिकअप वैन पलटा
आयुष्मान योजना के तहत किए गए इलाज का पांच करोड़ से अधिक का भुगतान बकाया
ब्रह्मानंद अस्पताल प्रबंधन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार आयुष्मान योजना के तहत किए गए इलाज का पांच करोड़ से अधिक का भुगतान बकाया है. ऐसे में आगे इलाज कर पाना संभव नहीं है. अस्पताल के मार्केटिंग हेड सुनील पांडेय ने बताया कि बकाये बिलों का भुगतान होने पर लोगों को पूर्व की भांति योजना का लाभ मिलेगा. वहीं, चांडिल स्थित ब्रह्मानंद अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत इलाज बंद होने के बाद समाजसेवी अष्टमी रविदास ने सांसद को पत्र लिखा है.
इसे भी पढ़े : आदित्यपुर : 72 घंटे में कन्हैया के हत्यारे नहीं पकड़े जाने पर झारखंड क्षत्रिय संघ ने निकाला आक्रोश जुलूस
अष्टमी ने जिले के उपायुक्त से भी इलाज शुरू करवाने के लिए किया आग्रह
अष्टमी ने सांसद को लिखे पत्र में कहा है कि बीमार होने पर चांडिल क्षेत्र के गरीब-किसानों का इलाज ब्रह्मानंद अस्पताल में हो पाता था, लेकिन अब वह भी बंद हो गया है. ऐसे में आयुष्मान योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को अतिरिक्त राशि खर्च कर शहरों में स्थित बड़े अस्पतालों में जाना पड़ेगा. इसमें उन्हें अधिक समय भी लगेगा. उन्होंने सांसद से ब्रह्मानंद अस्पताल में पूर्व की भांति आयुष्मान योजना के तहत इलाज शुरू करवाने के लिए पहल करने की गुहार लगाई है. इस संबंध में उन्होंने जिले के उपायुक्त से भी बातकर इलाज शुरू करवाने के लिए आग्रह किया है.
इसे भी पढ़े : चांडिल : नव प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को नहीं मिलता मिड डे मील, भूख लगने पर खाने जाते हैं घर