- चतरा डीसी के निर्देश पर की गई छापेमारी
- जंगल में 200 टन अवैध कोयला बरामद
- पुलिस ने कोयले की लूट की दे रखी है खुली छूट, बदले में मिलती है मोटी रकम
Chatra : जिले में अवैध कोयले का बड़ा खेल चल रहा था. लुकैया के सुरैया जंगल में अवैध तरीके से माइंस संचालित की जा रही थी. इसका खुलासा शनिवार को तब हुआ, जब चतरा डीसी अबु इमरान द्वारा गठित टीम ने छापेमारी की. अवैध खदान से टीम ने करीब 200 टन अवैध कोयला जब्त किया. छापेमारी के दौरान अधिकारी तब हतप्रभ रह गये, जब उन्होंने देखा कि जंगल के बीच में कोयले की अवैध खदान संचालित की जा रही है. जिस स्थान पर अवैध माइंस मिली है, वह चतरा के साउथ डीएफओ के रेंज में आती है. साथ ही पिपरवार के अशोका कोल प्रोजेक्ट एरिया के नजदीक और पिपरवार माइंस से करीब सात किमी दूर है. छापेमारी टीम में दंडाधिकारी के साथ सिमरिया, टंडवा के बीडीओ, सीओ, सीआई, एसडीपीओ के साथ जिला पुलिस और सीआईएसएफ के जवान शामिल थे.
जंगल में लंबे अर्से से चल रहा अवैध खनन
अभी यह पता नहीं चल पाया है कि जंगल में कितने दिनों से अवैध खनन किया जा रहा था. माइंस की स्थिति देखने से पता चलता है कि अवैध उत्खनन काफी दिनों से चल रहा था. सूत्रों ने बताया कि चतरा के जंगल से निकाला गया अवैध कोयला रामगढ़ पहुंचाया जाता है. रामगढ़ में चार-पांच स्पंज आयरन फैक्ट्रियों में इसे खपाया जाता है. अधिकांश रूंगटा बंधुओं की हैं. इन कंपनियों को हर दिन करीब 1500 से 1600 टन कोयला चाहिए. इनके मालिक द्वारा सीसीएल से डीओ के जरिए बहुत कम कोयला खरीदा जाता है. चतरा और रामगढ़ में अवैध उत्खनन कर निकाला गया अधिकांश कोयला ही इन फैक्ट्रियों में खपाया जाता है.
कोयले की हेराफेरी के तरह-तरह के खेल
अवैध खदानों से कोयला खनन कर बड़े पैमाने पर न सिर्फ फैक्ट्रियों में सप्लाई किया जा रहा है, बल्कि बाहर की मंडियों में भी भेजा जा रहा है. पावर प्लांट कंपनियों के लिए भेजे जाने वाले कोयले में भी डस्ट मिलाकर उसके हिस्से का कोयला भी इन फैक्ट्रियों में खपाया जाता है. डस्ट के बदले जो कोयला बचता है, उसे इन्हीं कंपनियों को सप्लाई किया जाता है. अवैध कोयले का कारोबार चतरा से लेकर रामगढ़ तक खुलेआम चल रहा है. पुलिस ने कोयला माफियाओं को लूट की खुली छूट दे रखी है.
कोयले के खेल में पुलिसकर्मियों से अफसर तक के हाथ काले
कोयले के अवैध कारोबार में पुलिस, अफसर, राजनेताओं का गठजोड़ सक्रिय है. पुलिस के अलावा जीआरपी, सीआईएसएफ, वन विभाग, खनन विभाग, परिवहन विभाग के अधिकारी भी कोयले के अवैध कारोबार पर चुप्पी साधे रहते हैं. ऐसा नहीं है कि उन्हें जंगल में अवैध खदान और कोयले के अवैध कारोबार के बारे में जानकारी नहीं है. सब कुछ जानते हुए भी सभी चुप्पी साधे रहते हैं. चुप्पी साधे रहने के लिए सभी भारी कीमत वसूल करते हैं. पुलिस-अफसरों को चुप रहने के लिए हर महीने बंधी बधाई रकम कोयला माफियाओं द्वारा पहुंचा दी जाती है.
छापेमारी जारी रहेगी : एसडीओ
सिमरिया एसडीओ ने बताया कि कोयले के अवैध कारोबार की सूचना पर चतरा के जंगल में छापेमारी की गई, जहां से करीब 200 टन कोयला बरामद किया गया. जंगल में अवैध खदान से बड़े पैमाने पर कोयला खनन कर कालाबाजारी की जा रही थी. उन्होंने कहा कि कोयले के अवैध काराेबार के खिलाफ आगे भी छापेमारी जारी रहेगी. किसी भी कीमत पर न तो अवैध खनन करने दिया जाएगा और न ही कोयले का अवैध कारोबार.