- कोरोना काल में पलायन रोकने के हेमंत सरकार की पहल अब ला रहा रंग
- स्थानीय स्तर पर युवा कर रहे बायोफ्लॉक पद्धति से मछली पालन
- मछली पालन के साथ नौका विहार से भी हो रही अच्छी आमदनी
- पर्यटन को भी मिल रहा बढ़ावा, घर के पास ही मिल रहा रोजगार
Pravin Kumar
Ranchi : कोविड काल में शुरू की गई योजना का सुखद परिणाम सामने आ रहा है. हेमंत सरकार ने कोरोना काल में पलायन कम करने पर जोर दिया था. युवाओं को मछली पालन कर आत्मनिर्भर बनाने की पहल शुरू की थी. इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 में राज्य में करीब 23 हजार टन अधिक मछली का उत्पादन हुआ. साथ ही मछली उत्पादन के कारोबार से 1.65 लाख किसान एवं मत्स्य पालक जुड़े.
चाईबासा में आधुनिक विधि से मछली उत्पादन
युवाओं को सरकार की योजना का लाभ देने में चाईबासा जिला प्रशासन आगे रहा. यहां के युवा भी सरकारी योजनाओं को तरजीह दे रहे हैं. बायोफ्लॉक तकनीक से छोटी जमीन पर कम पानी एवं औसत लागत से लाखों का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं. कोमोनकार, मोनोसेल्स, तेलपियी जैसी प्रजाति की मछली पालन कर प्रति टैंक 4-5 क्विंटल मछली का उत्पादन कर रहे हैं. पूर्व में बेरोजगारी की वजह से पलायन की मंशा रखने वाले यहां के युवाओं को जिला मत्स्य कार्यालय की ओर से कोविड-19 आपदा के दौरान 40 से 60% अनुदान पर मछली पालन के लिए प्रोत्साहित किया गया था. परिणाम स्वरूप आज सभी अपने क्षेत्र में रहकर बेहतर जीवकोपार्जन कर रहे हैं.
जलाशयों और खदानों का भी उपयोग, नौका विहार से भी आमदनी
चाईबासा जिला प्रशासन बायोफ्लॉक विधि से मछली उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है. यहां के 6 जलाशय और 2 बंद पड़े खदान में बने तालाबों में भी मछली पालन कर लोग स्वावलंबी बन रहे हैं. इन जलाशयों में सिर्फ मछली पालन ही नहीं, पर्यटन के दृष्टिकोण से मोटर बोट व पेडल बोट मत्स्य जीवी समितियों को दिया गया है. ताकि वे केज पद्धति के साथ-साथ पर्यटन से भी अच्छी आमदनी अर्जित कर सकें. जिले के सदर प्रखंड में मोदी जलाशय, चक्रधरपुर प्रखंड में जैनासाई जलाशय, बंदगांव प्रखंड में नकटी जलाशय, सोनुआ प्रखंड में पनसुआ जलाशय, मंझगांव प्रखंड में बेलमा जलाशय, मंझारी प्रखंड में तोरलो जलाशय समेत अन्य जलाशयों में अब स्थानीय लोगों को मछली पालन और पर्यटन से जोड़ा गया है, जो उनकी नियमित आमदनी का जरिया बन गया है.
घर में ही संचालित रोजगार से युवाओं को बेहतर आमदनी : डीसी
मछली उत्पादन की आधुनिक विधि और किसान समेत मत्स्य पालकों को नियमित रूप से प्रोत्साहन और प्रशिक्षण देने का काम जिला में किया जा रहा है. यहां के युवा इस ओर अपनी रुचि दिखा रहे हैं. जिसके परिणाम स्वरूप मछली उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. सरकार की ओर से पहले की तुलना में किसानों को जरूरत के मुताबिक संसाधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री के निर्देश पर बायोफ्लॉक से मछली पालन, सतत आय के लिए जलाशयों में केज कल्चर से मछली पालन, पर्यटन को बढ़ावा देने, बेहतर तकनीक की उपलब्धता से स्थानीय नवयुवकों को विभिन्न विभागों की योजनाओं से जोड़ा गया है. अब स्थानीय स्तर पर रोजगार का अवसर प्राप्त होने के बाद युवा जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रगतिशील हैं. घर में ही संचालित रोजगार से बेहतर आमदनी प्राप्त कर अन्य युवाओं के लिए मिसाल प्रस्तुत कर रहे हैं. – अनन्य मित्तल, उपायुक्त पश्चिम सिंहभूम
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