Dumka: जिले के टिकापहाड़ी गांव में ग्रामीणों ने संथाल आदिवासियों का धार्मिक अनुष्ठान ‘छटियर’ बहुत धूम-धाम और हर्सोल्लास के साथ मनाया. ऐसी मान्यता है कि इस अनुष्ठान के बिना किसी भी संथाल आदिवासी का शादी नहीं हो सकती है. साथ ही यह भी मान्यता है कि जिस व्यक्ति का छटियर नहीं हुआ है उसकी ओर से की गयी कोई भी पूजा ईष्ट देवता और पूर्वज ग्रहण नहीं करते हैं.
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बिना छटियर के व्यक्ति को सिरमापूरी में जगह नहीं मिलता
छटियर के बिना कोई भी व्यक्ति को सिरमापूरी (स्वर्ग) में जगह नहीं मिलता है. किसी बच्चे या वयस्क का बिना छटियर के किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है, तो उसका अंतिम संस्कार करने से पहले उसका छटियर करना जरूरी है. लोगों कि ऐसी मान्यता है कि ऐसा नहीं होने पर उस बच्चे या वयस्क को सिरमापूरी (स्वर्ग) में जगह नहीं मिल पायेगा. साथ ही उसकी आत्मा भी भटकती रहेगी.
छटियर दो तरह के होते है- ‘जोनोम छटियर’ और ‘चाचु छटियर’. बच्चे के जन्म के 3-5 दिन के अंदर उसका ‘जोनोम छटियर’ किया जाता है. जिन बच्चों का उस समय छटियर नहीं होता है, उनको शादी से ठीक पहले ‘छटियर’ कराना जरूरी है. इसे ‘चाचु छटियर’ कहा जाता है.
गुरु बाबा महादेव हेंब्रम ने संपन्न कराया अनुष्ठान
इस अनुष्ठान में इष्ट देवताओं और पुर्वजों के नाम से विनती-बाखेड़ (प्राथना) किया जाता है. आज का ‘छटियर’ गुरु बाबा महादेव हेंब्रम के द्वारा संपन्न कराया गया. इसमें गांव के लिखाहोड़ (गांव को चलाने वाले) नायकी, मांझी बाबा, जोग मांझी, गुडित, प्राणिक, भक्दो को उनके धर्म पत्नियों के साथ उनके शरीर में तेल और सिर, कान में सिंदूर लगाया गया. उसके बाद ‘धय बूढ़ी’ (गांव के बच्चे के जन्म के समय सहयोग करने वाली महिला) बच्चों को पानी छिड़क कर नहलाती (शुद्धिकरण) हैं. और उन बच्चों को तेल लगाया.
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धर्म गुरु ने 32 लोगों का किया ‘छटियर’
धर्म गुरु ने कुल 32 लोगों का ‘छटियर’ किया. इस पावन अवसर पर मांझी बाबा- बबलू हेंब्रम, नायकी बाबा- सोना लाल हेंब्रम के साथ-साथ प्रेम मुर्मू, पगान हेंब्रम, अशोक हेंब्रम, ओम प्रकाश हेंब्रम, प्रीतम हेंब्रम, शीला हेंब्रम, आशा हेंब्रम, नेहा टुडू, उदिल टुडू, श्रीलाल टुडू, बिटी हेंब्रम, साइमन हेंब्रम, मनोज हेंब्रम, शोले हेंब्रम सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.