Koderma: अभ्रक उद्योग बचाओ संघर्ष मोर्चा के महा धरना में अपना सहयोग देने सुबोधकांत सहाय पहुंचे. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि कोडरमा तथा गिरिडीह जिले के विश्व प्रसिद्ध अभ्रक उद्योग की बदहाली के मौजूदा हालात से आप भली-भांति परिचित हैं. हमें खुशी है कि अब बदहाली दूर करने के प्रति सरकार की सोच सकारात्मक है.
उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभ्रक उद्योग की बदहाली दूर करेंगे. माइका स्क्रैप चुनकर आदिवासी, दलित और पिछड़ी जाति के भूमिहीन झारखंडी मजदूर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. साथ ही लाख, दो लाख की लघु पूंजी लगाकर रोजगार कमा रहे हैं.
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अफीम और गांजा तस्करी से भी बड़ा अपराध मायका स्क्रैप
झारखंड के छोटे व्यवसाय डकैत तथा उग्रवादियों से भी बड़े अपराधी हैं. मायका स्क्रैप से जुड़े मजदूर और छोटे व्यवसायी पुलिस कानूनों के तहत मुकदमा और जेल जाने जैसी धनात्मक कार्रवाई का शिकार हो रहे हैं. दुर्भाग्य है कि ये काम विभागों की नजर में अफीम और गांजे की तस्करी से भी बड़ा अपराध बन गया है. इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की झारखंड विरोधी सोच और ऊपर से नीचे तक व्याप्त भ्रष्टाचार है.
सुबोधकांत ने पदाधिकारियों के समक्ष रखी 7 सूत्री मांगें
- माइका स्क्रैप चुनने के रोजगार पर आश्रित अभ्रक क्षेत्र के लगभग 1000 गांव में सहकारी समितियों का गठन कर उसे स्थानीय समुदाय को अधिकार दिया जाए.
- वन खनन और पुलिस विभाग की ओर से माइका स्क्रैप रोजगार से पेट पाल रहे ग्रामीणों तथा छोटे व्यापारियों की धरपकड़, मुकदमा तथा गिरफ्तारी जैसी दमनात्मक करवाई बंद हो.
- सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में वन क्षेत्र में जारी पत्थर माइका तथा अन्य खनिजों के अवैध खनन पर रोक लगायी जाए.
- खनिज विकास निगम ने 6 दिसंबर 2017 को पत्रांक संख्या 1619 में स्पष्ट किया है कि खनन एवं भूतत्व निदेशक के निर्णय अनुसार ढिबरा खरीद की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए इसकी खरीद-बिक्री और परिवहन के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है.
- सरकार को नया कानून बनाने की प्रक्रिया में अभ्रक उद्योग से जुड़े व्यवसायियों, विशेषज्ञों, सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधियों की सलाह एवं जानकारी को समावेशित किया जाए.
- कानून में संशोधन कर अवैध खनन हेतु सरकारी भूमि पर बगैर नीलामी प्रक्रिया के उपायुक्त के द्वारा लीज आवंटित करने की व्यवस्था लागू हो.
- अस्थाई लीज आवंटन के पूर्व कम से कम 2 साल की अवधि के लिए प्रोस्पेक्टिंग लीज आवंटित की जाए. इससे संभावित क्षेत्र में अभ्रक के भंडार का सही आकलन हो सकेगा.
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