Virendra Rawat
Ranchi : जीवन में खेलकूद बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है. लेकिन पढ़ाई और खेलकूद सभी बच्चों के हिस्से में नहीं है. स्कूल बंद होने से राजधानी रांची समेत राज्यभर के कई हिस्सों में नाबालिग बच्चे पढ़ाई की जगह ईंट-भट्टा और बालू डंपिंग यार्ड में बालू उठाव का काम कर रहे हैं. यह हाल रांची के बूढमू, पिठोरिया, नामकुम, मांडर, चुटिया, धुर्वा, तुपुदाना समेत कई इलाकों में दिखने को मिल रहा है. ये तस्वीर बुढ़मू के ईंट भट्टों की है, जहां पर छोटे-छोटे बच्चे काम कर रहे हैं. वहीं इसकी जानकारी श्रम विभाग को भी है, लेकिन श्रम विभाग सोया हुआ है.
3 महीनों से कोरोना महामारी के कारण बंद हैं स्कूल
स्कूल और कॉलेज पिछले 23 महीनों से कोरोना महामारी के कारण बंद हैं. और अब उम्मीद जताई जा रही है कि फरवरी माह के दूसरे सप्ताह से राज्यभर के स्कूल खोल दिये जायेंगे. हालांकि स्कूल खोलने के बाद भी जो बच्चे ईंट भट्टों पर और बालू के उठाव में लगे हुए हैं, उन्हें शिक्षा से जोड़ पाना शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी. क्योंकि लॉकडाउन के दौरान शिक्षा विभाग और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है.
क्या कहते हैं शिक्षा सचिव
शिक्षा सचिव राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि जिन- जिन जगहों पर स्कूली बच्चे भारी भरकम काम कर रहे हैं, वैसे जगहों को चिन्हित कर संस्थानों पर भारी भरकम फाइन किया जायेगा. साथ ही वैसे संस्थानों पर मुकदमा भी दर्ज किया जायेगा. इन बच्चों को स्कूल से जोड़ा जायेगा.
क्या कहती हैं अधिवक्ता रुणा शुक्ला
समाजसेवी और पेशे से अधिवक्ता रुणा शुक्ला ने बताया कि श्रम विभाग पूरे राज्य भर में सुस्त पड़ा है. इस मामले में सरकार को भी गंभीरता से विचार करना चाहिए और विभाग कैसे सुचारू रूप से चले, इस पर जोर देना चाहिए. स्कूल बंद होने के कारण नाबालिग बच्चे बालू खदान, ईंट-भट्टा, सड़क पर भीख मांगने का काम कर रहे हैं और नशे के शिकार हो रहे हैं. यह समाज और शिक्षा के लिए बुरा संकेत है.
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