Ranchi : झारखंड का स्वास्थ्य विभाग कोविड के चक्कर में बच्चों को अन्य बीमारियों से सुरक्षित रखने वाला टीका लगाना भूल गया है. अब जब बीमारी के पनपने का समय नजदीक आ गया है, तो विभाग को टीकाकरण याद आ रहा है. जिस जैपनीज इंसेफ्लाइटिस (चमकी और दिमागी बुखार) ने बिहार और यूपी के हजारों बच्चों को काल के गाल में समा दिया है, राज्य का स्वास्थ्य विभाग उसे लेकर लापरवाह बना हुआ है. झारखंड में अप्रैल के बाद बच्चों को इसके टीकाकरण की सुध लेने वाला कोई नहीं है. अप्रैल में जारी निर्देश के बाद मई तक जेई-1 का टीका 48% बच्चों को और जेई-2 का टीका 39% बच्चों को लग सका है. अब विभाग ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर इसके आच्छादन में तेजी लाने का निर्देश दिया है.
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राज्य के लिए कितनी खतरनाक है ये बीमारी
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक ये बरसात के बाद धान के खेतों में पनपने वाले पनपक्यूलेक्स मच्छर से ये बीमारी फैलता है. शाम के अंधेरा होने के बाद यह मच्छर तुरंत एक्टिव होता है. ये घर के अंदर नहीं होता है. ये घर के बाहर ही काटता है. इस लिहाज से देखें तो झारखंड की लगभग 60 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है. ऐसे में कोविड से ज्यादा खतरनाक बीमारी राज्य के लिए ये साबित हो सकती है.
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125 बच्चे हर साल होते हैं प्रभावित
विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक हर साल इससे लगभग 100-125 बच्चे प्रभावित होते हैं. कई बच्चों के लिए ये जानलेवा साबित होता है. हालांकि कोविड के कारण पिछले एक साल से विभाग के पास इसका समुचित डेटा नहीं है कि दो साल में कितने बच्चे इससे संक्रमित हुए हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में यह बीमारी एक साल पहले महामारी का रूप ले ली थी.