NewDelhi : भारत निकट भविष्य में बंगाल की खाड़ी में बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट करने वाला है. लेकिन इसी बीच एक ऐसी खबर आयी है, जिसके कारण मिसाइल टेस्ट टाला जा सकता है. खबर यह है कि चीन ने हिंद महासागर में अपना एक और जासूसी जहाज (रिसर्च और स्पेस ट्रैकिंग शिप) उतार दिया है. सूत्रों के अनुसार 22,000 टन से अधिक वजन वाला युआन वांग -6 बड़े एंटीना, एडवांस मॉनिटरिंग इक्यूपमेंट्स और इलेक्ट्रॉनिक स्नूपिंग में सक्षम सेंसर से लैस है.
यह सैटेलाइट प्रक्षेपण की मॉनिटरिंग और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के ट्रैकिंग के साथ ही उसकी ट्रैजेक्टरी का पता लगा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार जासूसी जहाज शुक्रवार सुबह इंडोनेशिया में बाली तट से रवाना हुआ है. बता दें कि इससे पहले अगस्त में श्रीलंका के हंबनटोटा में चीन के जासूसी जहाज को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक घमासान मचा था
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तो टल सकता है बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण
टीओआई ने डिफेंस से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा है कि इंडियन नेवी युआन वांग -6 की बारीकी से निगरानी कर रही है. यह लगभग 400 के चालक दल के साथ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सामरिक समर्थन बल की कमान के अंडर आता है. खबरों की मानें तो इस जहाज ने इंडोनेशिया के सुंडा जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर में प्रवेश किया है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि भारत 10-11 नवंबर को संभावित बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण टाल सकता है.
जान लें कि इससे पूर्व मिसाइल परीक्षण के लिए बंगाल की खाड़ी के ऊपर नो-फ्लाई ज़ोन के साथ एक NOTAM (वायुसैनिकों को नोटिस) जारी किया गया था. साथ ही दो दिन पहले भारत ने दो स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) प्रणाली के दूसरे चरण के लिए एक नयी एडी-1 इंटरसेप्टर मिसाइल का परीक्षण ओडिशा तट के अब्दुल कलाम द्वीप से किया था.
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चीन हंबनटोटा के सहारे खुद को लगातार मजबूत कर रहा है
इस साल अगस्त में, भारत ने हंबनटोटा के दक्षिणी बंदरगाह पर युआन वांग -5 के डॉकिंग के बारे में श्रीलंका को अपनी गंभीर चिंताओं से अवगत कराया था. भारत के लिए बड़ी रणनीतिक चिंता यह है कि चीन हंबनटोटा के यूज कर खुद को लगातार मजबूत कर रहा है. चीन ने इसे 2017 में अपनी लोन डेट पॉलिसी का यूज कर कमर्शल उद्देश्यों के लिए 99 साल की लीज पर हासिल किया. चीन के पास पहले से ही 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है. अ
गस्त 2017 में अफ्रीका के मुहाने पर जिबूती में अपना पहला विदेशी बेस स्थापित करने के बाद हिंद महासागर में सक्रिय रूप से लॉजिस्टिक बेस की तलाश कर रहा है. चीन अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों के लिए पाकिस्तान में कराची और ग्वादर बंदरगाह, कंबोडिया, सेशेल्स और मॉरीशस से ऑपरेशनल टर्नअराउंड सुविधाओं की तलाश कर रहा है.