Kabul : चीन की खुफिया एजेंसी और सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा अफगानिस्तान के बगराम एयरपोर्ट की रेकी किये जाने की खबर है. इससे भारत अलर्ट हो गया है. जान लें कि अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी और तालिबान के खूनी कब्जे के बाद पाकिस्तान और चीन वहां अपनी पकड़ और मजबूत करने की कवायद में जुट गये हैं. बगराम एयरफोर्स बेस साल 2001 से अमेरिका के नियंत्रण में था. पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपे ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिकी नेवी सील कमांडो बगराम एयरबेस पर ही ट्रेनिंग ली थी. बाद में ये कमांडो जलालाबाद एयर बेस से रवाना हुए थे.
इसे भी पढ़ें : सीएम योगी महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने प्रयागराज जायेंगे
पाकिस्तान का मोहरा सिराजुद्दीन हक्कानी गृहमंत्री है
तालिबान की अंतरिम सरकार के गठन से पूर्व आईएसआई चीफ काबुल गये थे. पाकिस्तान का मोहरा सिराजुद्दीन हक्कानी आज गृहमंत्री की कुर्सी पर है. खुलासा हुआ है कि चीन के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य अड्डे रहे बगराम एयरबेस पहुंच कर वहां की जानकारी हासिल की है. सीएनएन न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि चीन की खुफिया एजेंसी और सेना के उच्च अधिकारी बगराम एयरबेस क्यों गये थे.
सूत्रों के अनुसार वे कथित रूप से अमेरिकी लोगों के खिलाफ साक्ष्य और आंकड़े इकट्ठा कर रहे थे. कहा जा रहा है कि चीनी जासूस वहां पर तालिबान और पाकिस्तान की मदद से एक खुफिया केंद्र बनाने गये थे ताकि उनके शिंजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों को दी जाने वाली किसी मदद पर कड़ी नजर रखी जा सके.
चीनी जासूस पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान आये
सूत्रों के अनुसार चीनी जासूस पाकिस्तान के रास्ते सड़क मार्ग से अफगानिस्तान आये थे ताकि काबुल एयरपोर्ट पर उन पर कोई नजर न रख सके. चीनी जासूसों के बगराम एयरफील्ड के दौरे से भारत की चिंता गंभीर रूप से बढ़ गयी है. भारत सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने चीनी दल के दौरे की पुष्टि की है, कहा कि यदि उन्होंने पाकिस्तान के साथ मिलकर वहां कोई ठिकाना बनाया तो, इससे पूरे क्षेत्र में आतंकवाद और अस्थिरता को बढ़ावा मिलेगा.
इसे भी पढ़ें : रूस की पर्म यूनिवर्सिटी में हुई ताबड़तोड़ फायरिंग, आठ की मौत, 24 घायल
अफगानिस्तान में छिपा है एक ट्रिल्यन डॉलर का खजाना
अफगानिस्तान में एक ट्रिल्यन डॉलर का खजाना छिपा हुआ है. अमेरिकी जियॉलजिकल सोसायटी सर्वे ने इस भंडार का सर्वे शुरू किया था. 2006 में अमेरिकी रिसर्चर्स ने मैग्नेटिक, ग्रैविटी और हाइपरस्पेक्ट्रल सर्वे के लिए हवाई मिशन भी किये. अफगानिस्तान में मिले खनिजों में लोहा, तांबा, कोबाल्ट, सोने के अलावा औद्योगिक रूप से अहम लीथियम और निओबियम भी शामिल है.इन सब में से लीथियम की मांग के चलते अफगानिस्तान को सऊदी अरब’ भी कहा जाता है. दरअसल, लीथियम का इस्तेमाल लैपटॉप और मोबाइल की बैटरियों में होता है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने खुद अफगानिस्तान के लीथियम का सऊदी अरब बनने की बात कही थी.
अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक निक्की हेली ने चेताया था
इससे पहले अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व दूत निक्की हेली ने आगाह किया था कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद अमेरिका को चीन पर करीबी नजर रखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा था कि चीन युद्धग्रस्त देश में बगराम वायु सेना अड्डे पर कब्जा जमाने की कोशिश कर सकता है. वह भारत के खिलाफ मजबूत स्थिति हासिल करने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल भी कर सकता है.
हेली ने कहा, हमें चीन पर नजर रखने की आवश्यकता है क्योंकि मुझे लगता है कि आप चीन को बगराम वायु सेना अड्डे तक कदम बढ़ाते देख सकेंगे. मुझे लगता है कि वे अफगानिस्तान में भी पैर जमा रहे हैं और भारत के खिलाफ मजबूत स्थिति बनाने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे है.