NewDelhi : हम ऐसे दौर में रह रहे हैं जहां लोगों में सब्र और सहिष्णुता कम है. सोशल मीडिया के दौर में अगर कोई आपकी सोच से सहमत नहीं है तो वह आपको ट्रोल करना शुरू कर देता है. सोशल मीडिया पर फेक न्यूज जिस रफ्तार से फैलता है, उसके चलते सच्चाई विक्टिम बन गयी है. यह कहना था देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का. CJI शुक्रवार को अमेरिकन बार एसोसिएशन (ABA) इंडिया कॉन्फ्रेंस 2023 के लॉ इन द ऐज ऑफ ग्लोकलाइजेशन: कंवर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट सेमिनार में बोल रहे थे.
Delhi | When constitution was drafted, our constitution makers possibly had no idea on lines on which humanity will evolve. We didn’t possess notions of privacy, there was no internet, social media. We didn’t live in world controlled by algorithms: CJI at conference by ABA (3.3) pic.twitter.com/1NUUig3iKw
— ANI (@ANI) March 3, 2023
Truth has become a victim of false news: CJI Chandrachud at ABA India conference
Read @ANI Story | https://t.co/sxR397AwFy#ChiefJustice #DYChandrachud #ABAIndiaconference pic.twitter.com/hHP4PB3iLs
— ANI Digital (@ani_digital) March 3, 2023
अपनी बातों को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा, एक झूठी बात बीज की तरह जमीन में बोई जाती है और यह बड़ी थ्योरी में बदल जाती है, जिसे तर्क के आधार पर तौला नहीं जा सकता. कहा कि इसलिए कानून को भरोसे की ग्लोबल करेंसी कहते हैं.
इसे भी पढ़ें : लद्दाख से आयी बड़ी खबर, गलवान घाटी, पैंगोंग झील पर भारतीय सेना की हलचल बढ़ी, क्रिकेट खेलते नजर आये
भारतीय संविधान ग्लोबलाइजेशन का सबसे बड़ा उदाहरण है
संविधान को लेकर CJI ने कहा कि जब इसे बनाया गया तो यह ऐसा बड़े परिवर्तन लाने वाला डॉक्यूमेंट था, जिसमें दुनियाभर की सबसे बेहतर प्रैक्टिसिस को शामिल किया गया था. डॉ आंबेडकर ने कहा था कि संविधान में सिर्फ दुनिया से प्रेरणा नहीं ली गयी है, बल्कि यह देश के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. . CJI ने कहा कि कई मायनों में भारतीय संविधान ग्लोबलाइजेशन का सबसे बड़ा उदाहरण है, वह भी उस समय का जब हम ग्लोबलाइजेशन के दौर में आये नहीं थे. जब संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, तो इसे बनाने वालों को ये अंदाजा नहीं था कि दुनिया में किस तरह से बदलाव आयेगा.
इसे भी पढ़ें : राहुल ने कैम्ब्रिज में चीन की तारीफ की, भाजपा हुई हमलावर, कहा, विदेश में भारत का अपमान करते हैं
जज होकर हम इस ट्रोलिंग से बच नहीं पाते हैं.
उन्होंने कहा कि उस समय हमारे पास इंटरनेट नहीं था. हम ऐसे दौर में थे जो एल्गोरिदम से नहीं चलता था. सोशल मीडिया तो बिल्कुल नहीं था. आज हर छोटी चीज के लिए आपको यह डर रहता है कि सोशल मीडिया पर लोग आपको ट्रोल करेंगे. और यकीन मानिए जज होकर हम इस ट्रोलिंग से बच नहीं पाते हैं. आज हर छोटी चीज के लिए आपको यह डर रहता है कि सोशल मीडिया पर लोग आपको ट्रोल करेंगे.
ग्लोबलाइजेशन को लेकर अब लोग नाखुश होने लगे हैं
श्री चंद्रचूड़ ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन से अब लोग नाखुश होने लगे हैं. दुनियाभर के लोग जिस भावनात्मक उथलपुथल से गुजर रहे हैं, उसके चलते एंटी-ग्लोबलाइजेशन सेंटीमेंट में बढ़ोतरी हुई है. 2001 का आंतकी हमला इसका उदाहरण है. कोविड-19 के दौरान भी दुनिया ग्लोबल मेल्टडाउन से गुजरी, लेकिन यह एक मौके के तौर पर उभरा.