NewDelhi : राजनीतिक दलों को लगता है कि न्यायपालिका को चाहिए कि वह उनके कार्यों का समर्थन करे. लेकिन हम संविधान के प्रति जवाबदेह है. न्यायपालिका एक स्वतंत्र अंग है जिसकी जवाबदेही सिर्फ संविधान के प्रति है, न कि किसी राजनीतिक दल या विचारधारा के प्रति. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शुक्रवार को यह बात कही. CJI संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडो-अमेरिकन की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के हम 75वें साल में हैं. हमारा गणतंत्र 72 वर्ष का हो गया है लेकिन मुझे कुछ अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमने अभी भी प्रत्येक संस्थान को संविधान द्वारा सौंपी गयी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की पूरी तरह से सराहना करना नहीं सीखा है.
San Francisco | As we celebrate 75th year of independence and as our Republic turned 72, with some sense of regret I must add here that we still haven’t learnt to appreciate wholly the roles and responsibilities assigned by Constitution to each of the institutions: CJI NV Ramana pic.twitter.com/gBH1ola9xl
— ANI (@ANI) July 2, 2022
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हर सरकारी काम को न्यायिक समर्थन मिलना चाहिए
सत्ता में मौजूद पार्टी सोचती है कि हर सरकारी काम को न्यायिक समर्थन मिलना चाहिए. विपक्षी दल न्यायपालिका से अपने राजनीतिक पदों और कारणों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं. सीजेआई ने कहा कि इस तरह की विचार प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र की समझ की कमी से पैदा होती है. यह आम जनता में फैलाई गयी अज्ञानता है जो ऐसी ताकतों की मदद करने के लिए सामने आ रही हैं, जिनका लक्ष्य एकमात्र स्वतंत्र अंग न्यायपालिका को खत्म करना है. उन्होंने जोर दिया कि न्यायपालिका अकेले संविधान के प्रति जवाबदेह है. कहा कि हमें भारत में संवैधानिक संस्कृति को आगे ले जाने की जरूरत है.
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जो समाज सभी संस्कृतियों को अपनाता है, वही समृद्ध होता है
CJI एनवी रमना ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए एनवी रमना कहा कि यह अमेरिकी समाज की सहिष्णुता और समावेशी प्रकृति है कि वह विश्वभर की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम है. CJI ने उदाहरण दिया कि यदि आप घर में अपने माता-पिता की शांति और भलाई का ख्याल नहीं रख सकते हैं तो यहां आपके धन और स्थिति का क्या उपयोग है. कहा कि एक राष्ट्र जो सभी का खुले हाथों से स्वागत करता है और सभी संस्कृतियों को अपनाता है, वही समृद्ध होता है