Washington : अमेरिकी की एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट में पाकिस्तान के भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तनाव की स्थिति में अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के सैन्य कार्रवाई करने की संभावना ज्यादा है. बता दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच आतंकवाद को लेकर तनाव हो या चीन के साथ सीमा पर विवाद, अमेरिका हर स्थिति पर पैनी नजर रखता है.
परमाणु शक्तियों के बीच तनाव दुनिया के लिए चिंता का विषय
अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी की रिपोर्ट के अनुसार पहले के मुकाबले अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा पाकिस्तान की ओर से उकसावे का सैन्य जवाब देने की संभावना ज्यादा है. इसमें कहा गया है कि दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका कम है, लेकिन संकट और ज्यादा बढ़ सकता है, जिससे तनाव भी पढ़ सकता है. रिपोर्ट में परमाणु शक्तियों के बीच तनाव को दुनिया के लिए चिंता का विषय करार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में हिंसक अशांति अथवा भारत में चरमपंथी हमले की आशंका ज्यादा है.
भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है
चीन पर आरोप लगाया गया है कि वह सरकारी साधनो का इस्तेमाल कर अपने क्षेत्रीय पड़ोसियों पर अपनी ताकत दिखा रहा है, जिसमें ताइवान पर दावा ठोंकना शामिल है. रिपोर्ट में भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है जबकि इस साल कुछ कदम पीछे खींचे गये हैं. मई 2020 में चीन के कब्जे के बाद से यहां दशकों में सबसे गंभीर स्थिति बनी थी और 1975 के बाद गलवान में मई 2020 में चीन के साथ हिंसक झड़प में कई भारतीय जवान शहीद हो गये थे.
इस रिपोर्ट में भारत के अन्य पड़ोसी देशों में मौजूदा सियासी हालात को लेकर भी चर्चा की गयी है. बता दें कि म्यामांर का भी जिक्र है जहां सेना ने 1 फरवरी को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार का तख्तापलट कर देश में आपातकाल लागू कर दिया था.लोकतंत्र को मानने वाली नेता आंग सान सुकी को हिरासत में ले लिया गया है. म्यांमार में लोग इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन को कुचलने के लिए सैन्य बलों की कार्रवाई में सैंकड़ों की जान जा चुकी है.
रूस वॉशिंगटन के खिलाफ चीन को पीछे से मदद कर रहा है
इंटेलिजेंस कम्युनिटी की रिपोर्ट में चीन को अमेरिका के सबसे करीबी और बड़े प्रतिस्पर्धी देश के तौर पर रेखांकित किया गया है. दुनिया भर में खतरों का वार्षिक मूल्यांकन करने वाली रिपोर्ट के अनुसार रूस वॉशिंगटन के खिलाफ चीन को पीछे से मदद कर रहा है जिसमें भविष्य में वैश्विक स्तर पर सैन्य बलों और अन्य तकनीकों के इस्तेमाल बढ़ने की बात कही गयी है. रिपोर्ट में ईरान को क्षेत्रीय खतरा बताया गया है और उत्तर कोरिया को क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर विघटनकारी बताया गया है.