NewDelhi : भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रमण्यन स्वामी अब कॉलेजियम विवाद में कूद गये हैं. उन्होंने कानून मंत्री किरेन रिजीजु को नसीहत दी है कि वे जजों की नियुक्ति के विवाद में न पड़ें. स्वामी का कहना है कि कानून मंत्री उसी अंदाज में जजों की नियुक्ति करना चाहते हैं जिस अंदाज में पीएम नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट चुनते हैं. स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम जिन जजों की नियुक्ति करता है उन्हें राष्ट्रपति ही मंजूर करते हैं. कुछ मामलों में वो कॉलेजियम की सिफारिशों को वापस भी लौटा सकते हैं. उनका कहना है कि कानून मंत्री का वक्तव्य बेहूदा है. कानून मंत्री कहते हैं कि कॉलेजियम उन जजों को नहीं चुनता है जिन्हें वो नहीं जानता है.
Union Law Minister should not get into issue of SC Collegium selection of Judges. The President approve or even in rare cases can decline. Remarks of Minister were inane. He said Collegium does not pick those they do not know. He wants it the way Modi picks his Ministers such?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 3, 2022
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पूर्व जस्टिस सरकार के दखल को बेमतलब करार दे चुके हैं
जान लें कि सुप्रीम कोर्ट के साथ हाईकोर्ट्स के जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम फैसले करता है. लेकिन वर्तमान में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव देखा जा रहा है. हालांकि कई पूर्व जस्टिस सरकार के दखल को बेमतलब करार दे चुके हैं. जबकि कानून मंत्री किरेन रिजीजु कई बार कह चुके हैं कि न्यायपालिका में नियुक्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए. जारी विवाद के बीच शुक्रवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी एक ऐसा बयान दिया, जो हलचल मचा गया. एक कार्यक्रम मेंजगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को रद्द करने पर संसद में कोई चर्चा नहीं हुई. यह एक बहुत गंभीर मसला है. श्री धनखड़ ने कहा था कि संसद का कानून लोगों की इच्छा को दर्शाता है. लेकिन उसे SC ने रद्द कर दिया.
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उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका को एक नसीहत दे डाली
उपराष्ट्रपति ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून से संबंधित कोई बड़ा सवाल शामिल हो तो अदालतें भी इस मुद्दे पर गौर कर सकती हैं. लेकिन संविधान की प्रस्तावना संसद लोगों की इच्छा को दर्शाती है. धनखड़ ने जब ये बात कही तब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी वहां मौजूद थे. कहा जा रहा है कि उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका को एक नसीहत दे डाली. उधर शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को कुछ ऐसे लोगों के बयानों के आधार पर बेपटरी नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे लोग जो दूसरों के कामकाज में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं.