Ranchi: खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को प्रभावी तरीके से लागू करने को लेकर फिया फाउंडेशन की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून अंतर्गत पीडीएस, आईसीडीएस, मिड डे मिल एवं मातृत्व हक से लाभुकों को वंचित करना खाद्य सुरक्षा अधिनियम के साथ ही मानव अधिकारों का उल्लंघन है. कानून की धारा 14 में विभागों को आंतरिक शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करने, धारा 15 में जिला शिकायत निवारण अधिकारी और धारा 16 में राज्य खाद्य आयोग में हकधारकों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने के आधिकार पर विमर्श किया गया.
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लाभुकों के उनके घर के पास मिले राशन- हिमांशु शेखर
कार्यशाला में बतौर वक्ता राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष हिमांशु शेखर मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि आयोग हर संभव प्रयास कर रहा है कि हकधारकों को उनके निकटतम स्थान पर ही लाभ मिले. इसी उद्देश्य से आयोग ने वाट्सअप नंबर भी जारी किया है. साथ ही वहां के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से कानूनी प्रावधानों पर संवाद आयोजित कर रहा है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हकधारकों को राशन लेने के लिए काफी दूरी तय करनी पड़ती है. इस समस्या का निराकरण का काम जिला प्रशासन को करना है. नेटवर्क की समस्या या फिर अन्य किसी भी वजह से लाभुकों की हकमारी होती है. इसे आयोग कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. हम उम्मीद करते हैं कि परामर्श से एनएफएसए की धारा 14 और की बारीक समझ को बढ़ावा मिलेगा. विकास के लिए राज्य में नागरिक समाज संगठनों की सहयोगी और भागीदारी से निगरानी के लिए एक कुशल और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने के लिए ढांचा तैयार होगा. कई प्रतिभागियों ने अध्यक्ष हिमांशु शेखर की मौजूदगी में आयोग की ओर से कार्रवाई नहीं किए जाने का मामला रखा, जिस पर आयोग के अध्यक्ष ने वैसे मामलों को व्यतिगत तौर पर भेजने की बात कही. सुझावों को गंभीरता से सुना.
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झारखंड में पीडीएस की स्थिति कोविड के बाद हुई खराब- द्रेज
कार्यशाला में मौजूद जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा झारखंड में केविड 19 आपदा के बाद पीडीएस की स्थिति काफी दयनीय हुई है. 80 से 90% अनाज ही लाभुकों को मिल रहे है. कोविड के बाद ना केवल एमडीएम, आईसीडीएस. स्कूलों में एमडीएम बुरी तरह प्रभावित हुई है. पीडीएस के मामले में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की स्थिति झारखंड से बेहतर है. उड़ीसा में पंचायतों की जिम्मे पीडीएस सिस्टम दिया गया है. इससे उनकी जवाबदेही सुनिश्चित हुई है. अपने राज्य में प्राइवेट डीलर राजनीतिक गठजोड़ से पीडीएस सिस्टम को चौपट कर दिए है.